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शिवाजी महाराज : Life History, Wars, Victories

By : Sitaram Pandit Last Updated : Jan 27, 2018

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क्या एक वीर योद्धा होने के लिए एक क्षत्रिय होना जरूरी है ?? इस सवाल का जवाब आपको Shivaji Maharaj के Hindi History में मिलेगा और आप जानेंगे कैसे एक इंसान कुर्मी यानि किसान जाति से होते हुए मुगलों, सुल्तानों और पुर्तगालियों की ईट से ईट बजाकर हिन्दू साम्राज्य की स्थापना किया। Then Let’s Start Shivaji Maharaj Hindi History…

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Shiva Maharaj

Shivaji Maharaj History

Childhood

शिवाजी का जन्म पुणे के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। पिता शाहजी भोंसले मराठा सामाराज्य का संस्थापक थे। माता जीजाबाई थी, जो एक वीर और धार्मिक महिला थी। शिवाजी अपने माँ से बहुत प्रभावित थे। इसलिए जहां भी शिवाजी का जिक्र होता है तो वहाँ उनके माता जी का नाम आना लाजमी है।

शाहजी ने तत्कालीन निजामशाही सल्तनत पर मराठा राज्य की स्थापना की कोशिश की,

लेकिन वे मुगलों और आदिलशाह के संयुक्त शक्तियों के आगे हार गए और उन्हें अपने बड़े पुत्र संभाजी के साथ युद्ध संधि के अनुसार दक्षिण जाना पड़ा।

उस समय वे मात्र 14 साल के थे। इसलिए वे अपने माता के साथ ही रहे।

शाहजी की अनुपस्थिति में शिवाजी का लालन-पोषण की पूरी ज़िम्मेदारी जीजाबाई के ऊपर आ गई, जिसे उन्होंने बखूबी एक योद्धा, दयालु और प्रेरक माँ के रूप में निभाई।

यहीं कारण था कि शिवाजी आगे चलकर हिन्दू समाज का संरक्षक छत्रपत्ति शिवाजी महाराज बने।

वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और एक वीर योद्धा थे। जिसके कारण बचपन से मुगलों का अत्याचार और वर्तमान परिस्थितियों और घटनायों को भली भांति समझने लगे थे।

पिता द्वारा किए गए युद्ध संधि के कारण उन्हें गुलामों की तरह जिंदगी गुजारना पड़ रहा था। जिससे वह आजादी चाहते थे।

वे जैसे जैसे बड़े होते जा रहे है, वैसे वे अपने आजादी के संकल्प को मजबूत करते जा रहे थे।

Marriage

14 मई 1640 में उनकी शादी सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुणे में हुई।

Shivaji द्वारा दुर्ग विजया अभियान
बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह ने बहुत से दुर्गों से अपनी सेना हटाकर, उन्हें स्थानीय शासकों या सामंतों के हाथों सौप दिया।जब आदिलशाह बीमार पड़ा तो बीजापुर में अराजकता फैल गई। इसी अवसर को भुनाने के लिए शिवाजी ने बीजापुर के दुर्गों पर अधिकार करने की नीति बनाई।

कमाल के चतुर थे शिवाजी !! उन्होंने बिना खून की एक बूंद बहाये तोरण का दुर्ग, राजगढ़ का दुर्ग, रायगढ़, चाकन का दुर्ग, कोंडना का दुर्ग, सुपा का दुर्ग, पुरंदर का किला पर अपना अधिकार जमा लिया। इस चतुराई के खेल में उन्होंने मावलों का भी सहयोग लिया।

फिर उन्होंने एक अश्वारोही सेना का गठन कर आबाजी सोन्देर के नेतृत्व में कोंकण के विरुद्ध एक सेना भेजी। आबाजी ने कोकण सहित नौ दुर्गों को जीत लिया। इसके अलावा शिवाजी ने भी ताला, मोस्माला और रायटी के दुर्ग को अपने अधीन कर लिया।

बीजापुर का सुल्तान उनके हरकतों को जान चुका था। उनको रोकने के लिए उसने कर्नाटक से शाहजी राजे को अपने गिरफ्त में ले लिया।

फिर बीजापुर के दो सरदारों की बीच-बचाव करने के बाद शाहजी राजे को इस शर्त पर छोड़ा गया कि शाहजी शिवाजी पर लगाम कसेंगे। शिवाजी अगले चार साल के लिए खामोश हो गए और इस दौरान वे अपनी सेना को मजबूत करते रहे।

कुछ समय बाद वे अपने राज्य का विस्तार दक्षिण-पश्चिम में करते हुए जावली राज्य को अपने अधिकार में ले लिया।

Shivaji Maharaj का पहली बार मुगलों से भिड़ंत

उस वक्त तक मुगल भी बीजापुर को जितना चाहते थे। उसी समय बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मौत हो गई, जिसके बाद बीजापुर में अराजकता पैदा हो गया।

इसी अवसर को औरंजेब भुनाने के मकसद से बीजापुर पर आक्रमण कर दिया, पर शिवाजी ने मुगलों का साथ ना देकर, उल्टे उनके ऊपर ही आक्रमण कर दिया।

उनकी सेना ने जुन्नार नगर से ढेर सारी संपति के साथ 200 घोड़ो को लूट लिया और इसके अलावा अहमदनगर से 700 घोड़े, चार हाथी भी लूटा।

Shivaji Maharaj का दक्षिण-विजयी अभियानी

दक्षिण में मुगलों की अनुपस्थिति के कारण उन्होंने दक्षिण कोंकण पर खुद आक्रमण कर और जीत कर अपने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।

इस जीत से उन्होंने पुर्तगालियों को भी झुकने के लिए मजबूर किया। कल्याण और भिवंडी को जीतने के बाद वहाँ नौ सेना अड्डा बना दिया।

अब तक वे 40 दुर्ग जीत चुके थे।

Shivaji Maharaj का मुगलों के साथ पुन: भिड़ंत

उनकी तेजी से बढ़ते प्रभुत्व से सहम कर औरंजेब उन पर नियंत्रण पाना चाहता था। इसलिए वह इसी उद्देश्य से अपने मामा शाइस्ता खाँ को दक्षिण का सूबेदार बनाया।

जिसने वहाँ के आसपास के राज्यों में बहुत लूट मार मचा दिया। एक रात 350 सैनिकों के साथ शिवाजी ने शाइस्ता खाँ पर हमला कर दिया। इस हमले में शाइस्ता खाँ तो बच निकला, पर अपने हाथ के चार उंगली, बेटा और बड़ी सेना खो दिया।

इस जीत ने शिवाजी के औहदा को ओर बढ़ा दिया। 6 साल बाद शाइस्ता खाँ 150000 सैनिक लेकर शिवाजी के पूरे मुलुख को जलाकर राख़ कर दिया।

उन्होंने इस नुकसान की भरपाई के 6000 सेना के साथ सूरत के धनवान व्यपरियों को लूटा।

Shivaji Maharaj और मुगलों के बीच संधि

सूरत में लूट से औरंगजेब बहुत गुस्से में था। उसने जयसिंह को सूरत का फौजदार बनाया।

जयसिंह ने विदेशी ताकतों और छोटे सामंतों को अपने साथ लेकर शिवाजी पर आक्रमण कर, जिससे शिवाजी हार की संभावना देखकर संधि का प्रस्ताव भेजा।

जून 1665 में हुई इस संधि के अनुसार उनको 23 दुर्ग मुगलों को देना पड़ा और इस तरह उनके पास केवल 12 ही दुर्ग बचा।

कुछ समय के बाद शिवाजी को आगरा बुलाया गया, जहां उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा था। फिर उन्होंने भरे दरबार में औरंगजेब को विश्वासघात बताया। जिससे गुस्सा हो कर औरंजेब ने उनको नजरबंद कर दिया। वह तो उनको मारना चाहता था।

पर वे कैसे भी करके वहाँ से भाग खड़े हुए। फिर बनारस, गया, पूरी होते हुए रायगढ़ लौट आए।

Shivaji Maharaj का राज्याभिषेक

जहां उनका राज्याभिषेक होना था। पर ब्राह्मणों ने उनके क्षत्रिय ना होने से विरोध कर रहे थे। पर अंत में ब्राह्मणों को 100000 हूणों का रिश्वत देकर राज्याभिषेक किया गया।

पर उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही जीजाबाई की मौत हो गई। फिर से 4 अक्तूबर 1674 को राज्याभिषेक किया गया।

अप्रैल, 1680 में लगातार तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद एक वीर हिन्दू सम्राट सदा के लिए इतिहासों में अमर हो गए।

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Filed Under: Historical Persons

Comments

  1. Shubham Pawar says

    Jul 29, 2018 at 11:16 AM

    Hi, Sir
    Fantastic post!
    I found the step-by-step information SHIVAJI MAHARAJ to be super helpful.
    Thanks so much

    Reply
  2. Sujit singh says

    Dec 31, 2017 at 11:22 AM

    Bahut hi accha hai

    http://Www.thevidroh.in

    Reply
  3. Ravi Bhardwaj says

    Dec 8, 2017 at 9:12 AM

    शिवाजी महाराज की जीवनी पढ़कर एक सुखद एहसास हुआ|

    Reply
  4. sadhana says

    Sep 25, 2017 at 9:33 AM

    रवि भाई शिवाजी महाराज के बारे में बहुत अच्छी जानकारी शेयर की.

    Reply
  5. मुकेश पटेल says

    Sep 17, 2017 at 9:42 PM

    आपके लिखने का अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा

    Reply
    • Ravi Kumar says

      Sep 17, 2017 at 9:44 PM

      Thanks Mukesh

      Reply
  6. Mukesh Patel says

    Jul 8, 2017 at 8:46 PM

    Aapka blog bahut achcha hai. Aap konsi theme and plugin use karte hai. Aapka desine bahut achcha he.

    Reply
  7. yashdeep vitthalani says

    Jul 2, 2017 at 7:14 PM

    bahut accha hai

    Reply
  8. Shivaji Maharaj History says

    Jan 10, 2017 at 5:04 PM

    Great to read all this information in Hindi. Thank you for such a great post. No other Hindi content on Shivaji Maharaj available in such a descriptive manner. Great Work!!

    Reply
    • Ravi Kumar says

      Jan 13, 2017 at 7:11 PM

      Thanks…

      Reply
  9. राजू सिंह पटेल says

    Oct 29, 2016 at 11:29 PM

    कुछ लोगों को यह महान गलतफहमी है कि शिवाजी क्षत्रिय नही थे ,वे विशुद्ध क्षत्रिय थे ,वे सूर्यवंशी कुर्मी क्षत्रिय थे ,जो कुर्मी क्षत्रिय उस समय शिवाजी की सेना मे शामिल होते थे वे कुर्मी शुरवीर मराठा कहे जाते थे अत: कुर्मी तथा मराठा मे कोई फर्क नही है, फर्क सिर्फ नाम का ही है ,तत्कालीन ब्राह्मणों ने षडयंत्र रचकर उन्हें शुद्र साबित करने की कोशिश की क्यों की दृढ संकल्पी शिवाजी ने ब्राह्मणों को कभी सर्वश्रेष्ठ नही माना ,उन्होने अपना सेनापति भी एक कायस्थ को बनाया था, महाराष्ट्र मे कुर्मी को कुणबी या पाटील भी कहा जाता है ,यही कुर्मी गुजरात मे कणबी (पटेल) तथा आन्ध्रप्रदेेश मे “कापू” या “कम्मा” के नाम से भी जाने जाते हैं ,…भारतीय एवं हिन्दू संस्कृति के मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा को पुन: स्थापित करने वाले कुर्मी कुलभुषण छत्रपति शिवाजी महाराज की जय.

    Reply
  10. Jaware Dnyaneshwar says

    Sep 24, 2016 at 7:55 PM

    I like gate to its page i not phils in a qury thank you

    Reply

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