बसंत पंचमी हिन्दू त्यौहारों में से एक है। इसे श्री पंचमी भी कहते है। बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा बड़े हर्ष और उल्लास से भारतवर्ष में मनाई जाती है। इस दिन पिले वस्त्र धारण करते है और यह त्यौहार माघ शुक्ल पंचमी को आता है।
अनुक्रम
सरस्वती वंदना श्लोक-मंत्र
बसंत पंचमी के आते ही प्रकृति और अद्भुत लगने लगती है। चारों ओर खुशहाली छा जाती है और पशु-पक्षी उल्लास से भर जाते है। इस दिन एक नई उमंग के साथ सूर्योदय होता है और नई चेतना को प्रदान करके अगले दिन फिर इसी प्रकार आने की आशा देकर चला जाता है।
प्राचीन काल से वसंत पंचमी को माँ सरस्वती का जन्मदिन के नाम से जाना जाता है, जो लोग शिक्षाविद भारत से प्रेम करते है वो लोग इस दिन माँ सरस्वती की आराधना करते है।
कलाकारों के लिए तो बसंत पंचमी पर निबंध का बहुत अधिक महत्व है। कवि, लेखक, गायक इस दिन माँ सरस्वती की आराधना जरूर करते है। इसके साथ ही यह दिन हमें अतीत की कुछ प्रेरक घटनाये भी याद दिलाता है।
मां सरस्वती विद्या की देवी मानी जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते समय पढ़ाई कर रहे सभी विद्यार्थी अपनी किताब, लेखक अपनी ताकत कलम और अभिनय कलाकार अपनी चीजों को देवी के सामने रखकर उसकी पूजा करें और मां सरस्वती का आशीर्वाद लें।
बसंत पंचमी के दिन ही श्री राम चंद्र जी दक्षिण से होते हुए शबरी की कुटिया जा पहुंचे थे, जहा उन्होंने शबरी के हाथो से बेर खाये थे।
उस क्षेत्र के वनवासी आज भी उस जगह को पूजते है, जहा श्री राम चंद्र जी जाकर बैठे थे। वहाँ आज भी माता शबरी का मंदिर है। यह घटना वसंत पंचमी की ही है। वसंत पंचमी की महत्वता का अपना ही अनोखा रूप है।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त –
5 फरवरी को मां सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 बजे से दोपहर के 12:34 तक का है। इस शुभ मुहूर्त पर भी भक्त देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करें। सरस्वती पूजन 2022 शुभ मुफहूर्त पर हर काम को पूरा करने से मां सरस्वती आपकी हर मनोकामना को पूरा करेंगी।
बसंत पंचमी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें। नहाने के बाद पीले रगं के वस्त्र पहनकर देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करे, उनके साथ सभी नवग्रहों की भी पूजा करना न भूले। इतना ही नहीं इस दिन पीले पकवान बनाना शुभ लाभ का प्रतीक होता है। इस दिन मां सरस्वती को खीर का भोग अवश्य लगाए, जिसमें केसर घुली हो।
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते समय हाथ जोड़कर उनके श्लोक का समरण जरुर करें।
मां सरस्वती का श्लोक-
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
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