संस्कृत में धातुरूप वो चीज, जो कार्य की वास्तविक स्थिति को व्यक्त करता है, जो कि वर्तमान, भूत या भविष्य में हो सकता है। यह संस्कृत की पिलर है।
इसलिए संस्कृत सीखने वालों के लिए इन्हें पहले जानना-सीखना बेहद जरूरी है, जिसे हम इस पोस्ट में पेश कर रहे है। पसंद आता है तो मित्रों के साथ Whatsapp & FB पर शेयर कर सकते है-
अनुक्रम
संस्कृत धातुरूप
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते है या जो किसी कार्य के होने, कार्य के जारी रहने या होने वाले कार्य को व्यक्त करे, उसे संस्कृत में धातु कहते है।
जैसे गच्छ
इनकी कुल संख्या लगभग 3356 है।
संस्कृत में क्रिया के रूप काल, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते रहते है और वाक्य में उनके अनुसार ही प्रयुक्त होते है।
काल के अनुसार ये 10 रूपों में होते है, जिसे लकार भी कहते है। पर मुख्य रूप से पाँच लकार का ही उपयोग होता है। जो है –
- लट् लकार (वर्तमान काल)
- लोट् लकार (आज्ञा)
- लङ् लकार (अनद्यतन भूतकाल)
- विधिलिङ् लकार (चाहिए)
- ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)
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लट् लकार (वर्तमान काल)
जब कोई क्रिया वर्तमान काल में घटित हो, उसके लिए क्रिया के इस रूप का प्रयुक्त होता है।
जैसे –
राम: गच्छति (राम जाता है)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | ति | त: | अन्ति |
मध्यम | सि | थ: | थ |
उत्तम | आमि | आव: | आम: |
प्रयोग – पठ (पढ़ना)
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठति | स: पठति : | वह पढ़ता है |
द्वि. | पठत: | तौ पठत: | वे दोनों पढ़ते हैं |
बहु. | पठन्ति | ते पठन्ति | वे सब पढ़ते हैं |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठसि | त्वं पठसि | तुम पढ़ते हों |
द्वि. | पठथ: | युवाम् पठथ: | तुम दोनों पढ़ते हो |
बहु. | पठथ | युयम् पठथ | तुम सब पढ़ते हो |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठामि | अहं पठामि | मैं पढ़ता हूँ |
द्वि. | पठाव: | आवां पठाव: | हम दोनों पढ़ते हैं |
बहु. | पठाम: | वयम् पठाम: | हम सब पढ़ते हैं |
लोट् लकार (आज्ञा)
जब वाक्य में आज्ञा या आदेश का बोध हो, तब क्रिया का आज्ञा रूप आता है।
जैसे-
त्वं पठ (तुम पढ़ों)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | तु | ताम् | अन्तु |
मध्यम | अ | तम् | त |
उत्तम | आनि | आव | आम |
प्रयोग –
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठतु | स: पठतु | वह पढे |
द्वि. | पठताम् | तौ पठतां | वे दोनों पढ़ें |
बहु. | पठन्तु | ते पठन्तु | वे सब पढ़ें |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठ | त्वं पठ | तुम पढ़ों |
द्वि. | पठतम् | युवाम् पठतम् | तुम दोनों पढ़ों |
बहु. | पठत | यूयम् पठत | तुमसब पढ़ों |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठानि | अहम् पठानि | मैं पढ़ूँ |
द्वि. | पठाव | आवाम् पठाव | हम दोनों पढ़ें |
बहु. | पठाम | वयम् पठाम | हम सब पढ़ें |
लङ् लकार (अनद्यतन भूतकाल)
जो क्रिया कल या परसो हुआ हो, तब इस लकार का उपयोग किया जाता है।
जैसे –
सः ह्यः अभवत् (वह कल हुआ था)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | त् | ताम् | अन् |
मध्यम | अ: | तम् | त |
उत्तम | अम् | आव | आम |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठत् | स: अपठत् | उसने पढ़ा |
द्वि. | अपठताम् | तौ अपठताम् | उन दोनों ने पढ़ा |
बहु. | अपठन् | ते अपठन् | उन सब ने पढ़ा |
द्वितीय पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठ: | त्वं अपठ: | तुमने पढ़ा |
द्वि. | अपठतम् | युवाम् अपठतम् | तुम दोनों ने पढ़ा |
बहु. | अपठत | यूयम् अपठत | तुम सब ने पढ़ा |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठम् | अहं अपठम् | मैंने पढ़ा |
द्वि. | अपठाव | आवाम् अपठाव | हम दोनों ने पढ़ा |
बहु. | अपठाम | वयम् अपठाम | हम सब ने पढ़ा |
लिट् लकार (परोक्ष् भूतकाल)
जब कार्य भूतकाल में घटित हो, पर आँखों के सामने में ना हो। तब लिट् लकार का प्रयोग होता है।
जैसे-1857 की क्रांति हुई।
इसका प्रयोग प्राय: इतिहास को व्यक्त करने के लिए होता है, जैसे – राम: रावणं ममार (राम ने रावण को मारा)
वही उत्तम पुरुष में इसका प्रयोग केवल स्वपन या उन्मत्त की स्थिति में होता है, जैसे सुप्तोऽहं किल विलाप (मैंने सोते में विलाप किया)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | अ | अतुस् | उस् |
मध्यम | थ | अथुस् | अ |
उत्तम | अ | व | म |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पपाठ | स: पपाठ | वह पढा |
द्वि. | पेठतु: | तौ पेठतु: | वे दोनों पढे |
बहु. | पठन्ति | ते पठन्ति | वे सब पढे |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पेठिथ | त्वं पेठिथ | आपने पढा |
द्वि. | पेठथु: | युवां पेठथु: | आप दोनों ने पढा |
बहु. | पेठ | यूयं पेठ | आप सब ने पढा |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पपाठ | अहं पपाठ | मैंने पढा |
द्वि. | पेठिव | आवां पेठिव | हम दोनों ने पढे |
बहु. | पेठिम | वयं पेठिम | हम सब ने पढे |
लुङ् लकार(सामान्य भूतकाल काल)
जो क्रिया ठीक वर्तमान काल में बिता हो, तब इस लकार की जरूरत पड़ती है।
जैसे –
अहं पुस्तकं अपाठिषं (मैंने पुस्तक पढ़ी)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | द् | ताम् | अन् |
मध्यम | स् | तम् | त |
उत्तम | अम् | व | म |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपाठीत् | स: अपाठीत् | वह पढा |
द्वि. | अपाठिष्तां | तौ अपाठिष्तां | वे दोनों पढे |
बहु. | अपाठिषु: | ते अपाठिषु: | वे सब पढे |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपाठी: | त्वं अपाठी: | आपने पढा |
द्वि. | अपाठिष्टं | युवां अपाठिष्टं | आप दोनों ने पढा |
बहु. | अपाठिष्ट | यूयं अपाठिष्ट | आप सब ने पढा |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपाठिषम् | अहं अपाठिषम् | मैंने पढा |
द्वि. | अपाठिष्व | आवां अपाठिष्व | हम दोनों ने पढे |
बहु. | अपाठिष्म | वयं अपाठिष्म | हम सब ने पढे |
ऌङ् लकार (हेतुहेतुमद भूतकाल)
जिस वाक्य में एक क्रिया दूसरे क्रिया पर आश्रित हो या कारण और फल के संबंध में क्रिया सिद्ध ना हो, उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते है।
इस तरह के वाक्य में एक शर्त और प्राय: दो क्रिया पायी जाती है।
जैसे-
अहं अपठिष्यं तहिं विद्वान अभविषयं (यदि मैं पढ़ता तो विद्वान हो जाता)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | स्यत् | स्यताम् | स्यन् |
मध्यम | स्यस् | स्यतम् | स्यत् |
उत्तम | स्यम | स्याव | स्याम |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठिष्यत् | स: अपठिष्यत् | उसने पढा होता |
द्वि. | अपठिष्यताम् | तौ अपठिष्यताम् | उन दोनों ने पढा होता |
बहु. | अपठिष्यन् | ते अपठिष्यन् | उन सबने पढा होता |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठिष्य: | त्वं अपठिष्य: | आपने पढा होता |
द्वि. | अपठिष्यतम् | युवां अपठिष्यतम् | आप दोनों ने पढा होता |
बहु. | अपठिष्यत | यूयं अपठिष्यत | आप सब ने पढा होता |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | अपठिष्यम् | अहं अपठिष्यम् | मैंने पढा होता |
द्वि. | अपठिष्याव | आवां अपठिष्याव | हम दोनों पढे होते |
बहु. | अपठिष्याम | वयं अपठिष्याम | हम सब ने पढे होते |
विधिलिङ् लकार (चाहिए)
जिस वाक्य में चाहिए का अर्थ हो, तब इस क्रिया रूप को प्रयुक्त किया जाता है।
जैसे-
स: पठेत (उसे पढ़ना चाहिए)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | एत | एताम् | एयु: |
मध्यम | ए: | एतम् | एत |
उत्तम | एयम् | एव | एम |
प्रयोग
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठेत | स: पठेत | उसे पढ़ना चाहिए |
द्वि. | पठेताम् | तौ पठेताम् | उन दोनों को पढ़ना चाहिए |
बहु. | पठेयु: | ते पठेयु: | उन लोगों को पढ़ना चाहिए |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठे: | त्वं पठे: | तुम्हें पढ़ना चाहिए |
द्वि. | पठेतम् | युवां पठेतम् | तुम दोनों को पढ़ना चाहिए |
बहु. | पठेत | यूयम् पठेत | तुमसब को पढ़ना चाहिए |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठेयम | अहं पठेयम | मुझे पढ़ना चाहिए |
द्वि. | पठेव | आवां पठेव | हम दोनों को पढ़ना चाहिए |
बहु. | पठेम | वयम् पठेम | हम सब को पढ़ना चाहिए |
ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)
जब क्रिया ठीक होने वाली हो या जिसमे कल, परसों जैसे विशेषण ना हो। तब इस लकार की जरूरत पड़ती है।
जैसे-
राम: पठिस्यति (राम पढ़ेगा)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | स्यति | स्यत: | स्यन्ति |
मध्यम | स्यसि | स्यथ: | स्यथ |
उत्तम | स्यामि | स्याव: | स्याम: |
प्रयोग
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठिष्यति | स: पठिष्यति | वह पढ़ेगा |
द्वि. | पठिष्यत: | तौ पठिष्यत: | वे दोनों पढ़ेंगे |
बहु. | पठिष्यन्ति | ते पठिष्यन्ति | वे सब पढ़ेंगे |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठिष्यसि | त्वं पठिष्यसि | तुम पढ़ोगे |
द्वि. | पठिष्यथ: | युवाम पठिष्यथ: | तुम दोनों पढ़ोगे |
बहु. | पठिष्यथ | यूयम् पठिष्यथ | तुम सब पढ़ोगे |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठिष्यामि | अहं पठिष्यामि | मैं पढ़ूँगा |
द्वि. | पठिष्याव: | आवां पठिष्याव: | हम दोनों पढ़ेंगे |
बहु. | पथिष्याम: | वयं पथिष्याम: | हमलोग पढ़ेंगे |
लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यकाल)
जब वाक्य में क्रिया आज घटित ना होकर, कल-परसो हो, उसे अनद्यतन भविष्य काल कहते है।
-बीती हुई रात के 12 बजे से आने वाली रात के 12 बजे तक के काल को अद्यतन काल कहते है और आने वाली रात्रि के बारह बजे के बाद के समय को अनद्यतन काल कहा जाता है।
यानि आज रात के 12 बजे के बाद जो क्रिया होने वाला है, उसके लिए ये लकार उपयोग कर सकते है-
जैसे –
ते श्वः विद्यालये भवितारः (वे कल विद्यालय में होंगे)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | ता | तारौ | तारस् |
मध्यम | तासि | तास्थस् | तास्थ |
उत्तम | तास्मि | तास्वस् | तास्मस् |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठिता | स: पठिता | वह पढ़ेगा |
द्वि. | पठितारौ | तौ पठितारौ | वे दोनों पढ़ेंगे |
बहु. | पठितार: | ते पठितार: | वे सब पढ़ेंगे |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठितासि | त्वं पठितासि | आप पढ़ोगे |
द्वि. | पठितास्थ: | युवां पठितास्थ: | आप दोनों पढ़ेंगे |
बहु. | पठितास्थ | यूयं पठितास्थ | आप सब पढ़ेंगे |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठितास्मि | अहं पठितास्मि | मैं पढ़ूँगा |
द्वि. | पठितास्व: | आवां पठितास्व: | हम दोनों पढ़ेंगे |
बहु. | पठितास्म: | वयं पठितास्म: | हम सब पढ़ेंगे |
आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद देना)
इसका प्रयोग आशीर्वाद के अर्थ में होता है।
जैसे – राम: विजियात् (राम विजयी हो)
पुरुष | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
प्रथम | यात् | यास्ताम् | यासुस |
मध्यम | यास् | यास्तम् | यास्त |
उत्तम | यासम् | यास्व | यास्म |
प्रयोग-
प्रथम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठ्यात् | स: पठ्यात् | वह पढ़े |
द्वि. | पठ्यास्ताम् | तौ पठ्यास्ताम् | वे दोनों पढ़े |
बहु. | पठ्यासु | ते पठ्यासु | वे सब पढ़े |
मध्यम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठ्या: | त्वं पठ्या: | तुम पढ़ो |
द्वि. | पठ्यास्तम् | युवां पठ्यास्तम् | तुम दोनों पढ़ें |
बहु. | पठ्यास्त | यूयं पठ्यास्त | तुम सब पढ़ें |
उत्तम पुरुष | |||
---|---|---|---|
एक. | पठ्यासम् | अहं पठ्यासम् | मैं पढ़ूँ |
द्वि. | पठ्यास्व | आवां पठ्यास्व | हम दोनों पढ़े |
बहु. | पठ्यास्म | वयं पठ्यास्म | हम सब पढ़ें |
Pro Tip – काफी लकार हो चुके है, किसको किस वक्त उपयोग करना है। यह बड़ा confusing हो सकता है। इसलिए हम पेश कर रहे है, यह शानदार श्लोक, जो आपको मदद करने वाला है-
लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तथा।
विध्याशिषोलिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति॥
लट् लकार वर्तमान काल में, लेट् लकार केवल वेद में, भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्, विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा भविष्यत् काल में लुट्, लृट् और लृङ् लकारों का उपयोग होता है।