जनवरी 30 को दिल्ली पुलिस के द्वारा फ्रीलान्सर पत्रकार मनदीप पुनिया को जिस तरीके से हिरासत में ले लिया गया था। जिसके बाद पत्रकारों में रोष है और वे पुनिया की रिहाई के लिए लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे है।
खैर पुलिस की गाड़ी में बैठे पुनिया की खिलखिलाता हुआ चेहरा उनके आशावादी व्यक्तित्व को दर्शाता है कि वे कितने निर्भीक और धैर्यवान है।
अनुक्रम
Mandeep Punia Wiki 
Parents
मनदीप पुनिया का जन्म रोहतक हरियाणा में हुआ था। वे किसान परिवार से है।
Education
पुनिया ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी से की। उसके बाद उन्होंने Indian Institute of Mass Communication से Journalism किया।
Career
उन्होंने अपनी Journalism Career की शुरुआत 80 साल पुराने The Caravan Magazine के साथ की। इस मैगज़ीन को आजादी से पहले 1940 में Found किया गया था। लेकिन 1988 को इसे बंद कर दिया था। फिर 2010 को India’s only narrative journalism magazine के रूप में relaunch किया गया।
सिंधु बार्डर विवाद
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक 29-30 जनवरी को सिंधु बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे है किसानों पर तथाकथित “लोकल्स” ने हमला कर दिया। फिर दोनों तरफ से झड़प हुई। जिसमें कईयों को चोट आई। पुलिस ने 80 लोगों की गिरफ्तारी की।
इसे तथाकथित मीडिया ने लोकल्स लोगों की frustration को बताया।
पर यह तो एक तस्वीर है। दूसरी तस्वीर बताती है, जिस सिंधु बॉर्डर पर पानी-शोचालय जैसे मूलभूत चीजों को पुलिस ने आने नहीं दिया। यहाँ तक रिपोर्टेर्स को भी 1 किमी पहले ही रोक दिया जाता है। फिर ये तथाकथित लोकल्स धरना-स्थल तक कैसे पहुँच गए।
जिसका खुलासा मंदीप पुनिया ने किया था कि लोकल्स के रूप में किस पार्टी के गुंडे थे। वे घटना की रात वही रिपोर्टिंग कर रहे थे।
THREAD. BIG EXPOSE : क्या दिल्ली पुलिस को बेनक़ाब करने के लिए #MandeepPunia को गिरफ़्तार किया गया ?? मनदीप ने खुलासा किया था कि कल किसानों पर हमले के पीछे BJP के लोग थे। मनदीप की पूरी रिपोर्ट देखिए। Video part 1 https://t.co/8wfrMatFmD pic.twitter.com/W6t2z6I0Yq
— Vinod Kapri (@vinodkapri) January 30, 2021
उसके अगले दिन 30 जनवरी शाम को उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया था। उनके साथ एक और फ्रीलान्सर रिपोर्टर धर्मेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया, जिन्हें 31 जनवरी को रिलीज कर दिया गया।
लेकिन मंदीप के खिलाफ IPC की धारा 186 (सरकारी काम में बाधा पहुंचाना) IPC की धारा 353 (सरकारी अधिकारी पर हमला करना) IPC की धारा 332 (लोकसेवक को चोट पहुंचना) और IPC की धारा 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
जो सच से डरते हैं, वे सच्चे पत्रकारों को गिरफ़्तार करते हैं। pic.twitter.com/JIGkUUji92
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2021
उस गिरफ्तारी की रात को द इंडियन एक्सप्रेस कुछ इस तरह recite करती है-
पुनिया प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े थे और उनके पास प्रेस आईडी कार्ड नहीं था. वो बैरिकेड्स के बीच में से निकल रहे थे, जो इलाके की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं. पुलिसकर्मियों और उनके बीच विवाद शुरू हो गया. उन्होंने दुर्व्यवहार किया. तब उन्हें हिरासत में लिया गया और 31 जनवरी को तिहाड़ जेल के कोर्ट नंबर दो में पेशी हुई।
इस घटना के बाद फ्रीलान्सर जर्नलिस्ट में रोष है और उन्होंने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के आगे धरना-प्रदर्शन भी किया।
Family
पुनिया की पत्नी लीला श्री है। मंदीप पुनिया को जब पुलिस के गाड़ी में बैठाया गया था, तब उनके चेहरे पर मुस्कान था और वे फ्री प्रेस फ्री प्रेस का उद्घोष कर रहे थे। उनके इस खुशनुमा मिजाज को देखकर कई लोग कायल हो गए और उनका समर्थन कर रहे है।
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