Geeta Phogat | दुख-सुख की धूप-छाँव से आगे निकल गए,
हम ख्वाइशों के गाँव से आगे निकल गए,
तूफान समझा था कि हम डूब जाएंगे,
आंधियों में हम हवायों से आगे निकल गए।
जी हाँ कहते हैं ना, यदि इरादे मजबूत हो, हौसलें बुलंद हो और खुद पर विश्वास हो तो दुनियाँ की कोई भी ताकत आपको किसी अखाड़े में पटखनी नहीं दे सकता।
फ्रेंड, कुछ ऐसी ही कोमल हृदय वाली चट्टान जैसी कठोर इरादे रखने वाली Geeta Phogat है। जिन्होंने उस राज्य में जन्म लिया जहां लड़कियों की तकदीर उनके जन्म से पहले ही लिख दिया जाता है।
पर वो पुरुषों से एक कदम आगे बढ़ते हुए अपनी मर्दानी ताकत से पुरुष प्रधान पहलवानी में पुरुषों को पटखनी देकर और उन्हें धूल चाटने पर मजबूर कर। यह साबित कर दी कि महिलायेँ भी किसी से कम नहीं।
आइये फ्रेंड, इस Hindi Biography द्वारा Geeta Phogat की Inspiring मर्दानी स्टोरी जानते है-
अनुक्रम
Geeta Phogat Hindi Biography (Wiki)
गीता फोगट का जन्म हरियाना में भिवानी जिले के छोटे से गाँव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता महावीर सिंह फोगट हरियाणा के जाने-माने पहलवान है, जो अपने पिता से विरासत में मिले पहलवानी को आगे बढ़ा रहे है। उनकी माँ दया कौर एक हाउसवाइफ है।
Family
परिवार में गीता की तीन बहनें बबीता, रितु, संगीता और एक भाई दुष्यंत है। गीता और बबीता पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान है और रितु अभी अपने पिता से पहलवनी की ट्रेनिंग ले रही है। साथ ही गीता की सबसे छोटी बहन संगीता और भाई दुष्यंत भी पहलवनी के रास्ते पर है।
गीता के पिता पेशे से एक ग्रीक-रोमन स्टाइल के पहलवान है, जो कभी मेट पर तो कभी मिट्टी में ही पहलवनी कर लिया करते थे।
अपनी पहलवानी से अच्छे-अच्छे पहलवानों की छक्के छुड़ाने वाले महावीर फोगट धन से गरीब थे, पर लड़कियों के प्रति विचारों को लेकर धनी थे। जब उनकी पहली संतान बेटी रत्न (गीता फोगट) के रूप में हुई और एक साल एक महीने के बाद दूसरी बेटी रत्न बबीता फोगट का जन्म हुआ तो उन्होंने लड़कों-लड़कियों में भेदभाव ना करते हुए निश्चय किया कि वे उन्हें लड़कों की तरह पहलवान बनाएँगे।
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Childhood & Training
और पाँच साल के होते ही गीता फोगट और बबीता फोगट को पहलवनी की ट्रेनिंग देने लगे।
महावीर फोगट लड़कों के साथ ही अपनी बेटियों को दौड़ करवाते और दांव-पैच सिखाते थे। जैसे-जैसे गीता और बबीता बड़ी होने लगी तो जमाना उनका सहयोग करने के बजाय अजीब-अजीब मुंह बनाने लगा।
कई बार तो उन्हें लोगों से विरोध और धमकियाँ भी मिलती थी। पर वे सभी अपने पथ पर पूर्ण विश्वास के साथ डटे रहे।
उन्हीं दिनों 2000 के सिडनी ऑलिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्ण मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में भारत के लिये ब्रोंज मैडल जीती, जो ऑलिंपिक्स में किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी का पहला पदक था।
इस घटना ने महावीर सिंह फोगट को नए जोश से भर दिया। उन्होंने अपने-आप से कहा,
यदि कर्ण मल्लेश्वरी देश के लिए ऑलिम्पिक से मेडल ला सकती है तो मेरी बेटियाँ ऑलिंपिक्स से मेडल क्यों नहीं ला सकती ?
बस इस घटना के बाद से उन्होंने अपनी बेटियों की ट्रेनिंग को और कडा कर दिया। जब कभी गीता या बबीता किसी मुक़ाबले में पीछे रह जाती तो उन्हें उनके कड़े डांट का सामना भी करना पड़ता था।
जिसके बारे में Geeta Phogat सत्यमेव जयते के एक एपिसोड में कहती है,
शुरुआत में पापा हमें दौड़ लगवाने के लिए खेतों में ले जाते थे। धीरे-धीरे टाइम निकलता गया तो ट्रेनिंग टफ होता चला गया।
अब हमें लड़कों के साथ ट्रेनिंग करना पड़ता था और अगर हम उनसे कोई दौड़ या दौड़ करते समय कमजोर पड़ जाते तो पापा मारते भी थे और गुस्सा भी काफी करते थे।
इतनी कठिन ट्रेनिंग के कारण गीता कभी हार भी मान जाती थी। जिसके बारे में वो आगे कहती है,
कई बार ऐसे सोचते थे भी कि अगर हम किसी दूसरे अखाड़े या और स्टेडियम में होते तो अगर पापा जैसा कोच मिल जाए तो हम कभी भी वापस वहाँ नहीं जाते। घर ही आ जाते।
Geeta Phogat के पिता एक जुनूनी कोच थे, इसलिए वो अखाड़े की बात अपनी दोनों बेटियों के साथ खाने पर या अन्य काम करते हुए भी करते थे। जिससे वो अपने पिता से काफी परेशान हो जाती थी। जिसके बारे में हल्की मुस्कान के साथ गीता जिक्र करती है,
कोच यदि स्टेडियम या अखाड़े में होतो ट्रेनिंग टाईम में ही बोल दिया। पर पापा तो घर आने के बाद खाते-पीते फिर वहीं बात मतलब ट्रेनिंग वाली बात।
इतनी कड़ी ट्रेनिंग के बाद गीता और बबीता को बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के मुक़ाबले के लिए ले जाने लगे। पर पुरुषवादी खेल के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें बेटियों को ना खिलाने की हिदायत भी दे डाली। पर वे रुकें नहीं।
बल्कि वे अपनी बेटियों को आगे की ट्रेनिंग के लिए स्पोर्ट्स ऑथोरीटी ऑफ इंडिया में दाखिला दिला दिया। बचपन में मिट्टी में खूब पसीना बहाने वाली गीता और बबीता में वहाँ के कोचों को जल्द ही टैलेंट दिखा और उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने लगे।
जीत का सफर
जिसका सुनहला परिणाम 2009 में आया, जब गीता ने इतिहास रचते हुए जलंधर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीती, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थी।
इसी तरह 2010 के न्यू दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार सोने का तमगा जीतकर गीता फोगत ने यह साबित कर दिया। यदि किसी टार्गेट के लिए जी-तोड़ मेहनत किया जाए तो जमाना भी आपके आड़े नहीं आ सकता।
अब उनके जीत का यह आलम था कि वो 2012 के वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियशिप में ब्रोंज मैडल, 2013 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल और 2015 के एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीती।
18 अक्तूबर 2016, मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की मंजूर पर गीता फोगट के अंतर्राष्ट्रीय खेलों योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।
Quick Fact
Name – Geeta Phogat
Date of birth – 15 December 1988
Age – 27 Years (2016)
Birth of place – Balali Village, Haryana
Weight – 55 KG
Family
Father – Mahavir Singh Phogat
Mother – Daya Kaur
Sister – Babita, Sangita, Ritu
Brother – Dushyant
Cousin – Vinesh Phogat
Husband – Pawan Kumar
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