Hindi-Biography.com

Treasure of Info

  • Home
  • Valentine Week List
  • Rose Day Shayari
  • Propose Day Shayari
  • Chocolate Day Shayari
  • Teddy Day Shayari

Subhash Chandra Bose Biography in Hindi

By : Ravi Kumar

तुम मुझे खून दों, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, ऐसे विचार रखने वाले Netaji Subhash Chandra Bose ने अकेले दम पर भारत की आजादी के लिए वो प्रयास किए, जिसे कोई दूसरा क्रांतिकारी सोच भी नहीं सकता था।

Subhash Chandra Bose ऐसे भारत के क्रांतिवीर सपूत थे, जिन्होंने भारत की सरजमीं से अपने अभियान का प्रयास करते हुए पूरे विश्वभर को अपना युद्ध अभ्यास का आखाडा बना दिया।

आइये जानते है ऐसे ही उनके वीर बातों को इस biography से….

  • आखिर क्या हुआ था इतिहास में, जानिए रानी पद्मावती की पूरी कहानी

अनुक्रम

  • Subhash Chandra Bose Biography
    • Parents & Childhood
    • Education
    • राजनीतिक प्रयास
    • विदेशी जमीं से प्रयास
    • आजाद हिन्द फौज
    • Death Reason

Subhash Chandra Bose BiographySubhash Chandra Bose Biography in Hindi, Wiki, Death Reason, Birth Date

Parents & Childhood

सुभाष चन्द्र बॉस का जन्म उड़ीसा में कटक शहर के धनी बंगाली परिवार में 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बॉस कटक शहर के प्रसिद्ध वकील थे और माँ प्रभावती एक हाउसवाइफ थी।

उनके माता-पिता की 14 संताने थी, जिसमें 8 बेटे और  6 बेटियाँ थी। सुभाष चन्द्र उनकी नौवी संतान और पांचवे बेटे थे।

सुभाष अपने सभी भाई-बहनों से प्यार से था, पर उन्हें सबसे अधिक लगाव शरदचन्द्र से था।

  • कौन था ? जिसने मात्र 3 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था 

Education

उनकी शुरुआती शिक्षा स्थानीय रेवेशोव कोलेजिएट स्कूल से हुई। उसके बाद वे कॉलेज की पढ़ी प्रेजिडेंसी और स्कोटिश चर्च कॉलेज से की। बाद में उनके माता-पीतन ने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इंग्लैंड स्थित केंब्रिज यूनिवर्सिटी भेज दिया। उन दिनों अंग्रेजों के कठिनतम नियमों के कारण भारतियों का सिविल सर्विस में जाना बेहद कठिन था। फिर भी उन्होंने उस परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया।

राजनीतिक प्रयास

1921 के समय भारत में क्रांतिकारी और राजनीतिक गतिविधियां काफी बढ़ चुकी थी। जिससे प्रभावी होकर उन्होंने सिविल सेवा में जाने को निर्णय को त्याग दिया और भारत लौट आए।

यहा आकर वे उस वक्त बड़ी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस से जुड़ गए। उस पार्टी में उस वक्त गांधी जी का बहुत प्रभाव था। चूंकि गांधीजी उदरवादी विचारों के थे, जबकि वे क्रांतिकारी विचारों के थे। इसलिए वे गांधीजी के विचारों से सहमत नहीं होते थे। पर फिर भी गांधीजी ने ही उन्हें पहले नेताजी कहकर पुकारा था।

1938 में भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस एक अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राष्ट्रिय योजना आयोग का गठन किया, जो गांधीवादी नीति के खिलाफ था। एक बार भी उन्होंने 1939 में एक गांधीवादी प्रतिद्वंदी को हराकर अध्यक्ष बने। इस हार को गांधीजी ने अपनी हार माना।

जिससे नेताजी नाराज होकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी ही छोड़ दिया।

  • भारत का एक ऐसा वीर पुत्र जो मातृभूमि के लिए रक्त की अंतिम बूंद तक लड़ता रहा। कौन है वो ?

विदेशी जमीं से प्रयास

यह समय था, जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ चुका था और नेताजी के विचारों को पंख लग गए थे। जिसे अंग्रेज़ अच्छी तरह जानते थे। इसलिए उन्हें कोलकाता में नजरबंद कर दिया गया। लेकिन वह अपने भतीजे शिशिर कुमार बॉस के सहायता से भाग निकले। फिर वे अफगानिस्तान होते हुए भी सोवियत संघ होते हुए जर्मनी जा पहुंचे।

नेताजी 1933-36 के बीच यूरोप भ्रमण पर निकले थे। वे भ्रमण के दौरान जर्मनी पहुंचे, जब हिटलर का राज था, जो अंग्रेजों का धूर-विरोधी था। यही से नेताजी को विचार आया कि दुश्मन का दुश्मन का दोस्त होता है। वे समझते थे कि आजादी पाने के लिए राजनीतिक प्रयास के साथ सैन्य प्रयास भी जरूरी है।

1937 में जर्मनी में अपनी सेक्रेटरी और औस्ट्रियन युवती एमिली से विवाह कर लिया और अनीता नाम की बेटी का पिता बने। वे परिवार सहित जर्मनी में ही रहे और हिटलर से मिले। उन्होंने हिटलर के साथ मिलकर अंग्रेज़ो के खिलाफ कई काम किया और 1943 में जर्मनी छोड़ दिये। फिर जापान होते हुए सिंगापूर पहुंचे।

आजाद हिन्द फौज

वहाँ उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापित आजाद हिन्द फौज की कमान अपने हाथो में ले लिया। बाद में रास बिहारी बॉस ने उसे फौज को पुनर्गठन किया। उन्होंने महिलायो के लिए रानी लक्ष्मी रेजीमेंट भी बनाया, जिसकी कैप्टन लक्ष्मी सहगल को बनाया गया।

21 अक्तूबर 1943 को भारत की स्वतन्त्रता के उद्देश्य से आजाद हिन्द सरकार की स्थापना की और प्रतीक चिन्ह के रूप में दहारते हुए बाघ का चित्र बने झंडे का यूज किया। वे अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को वर्मा पहुंचे और यही पर प्रसिद्ध नारा तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा दिया।

  • कौन थी वो जिसके बिना गांधीजी स्कूल के दिनों में भी नहीं रह पाते थे ?

Death Reason

18 अगस्त 1945 वे टोकयों जा रहे थे, लेकिन यह उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। वे इस यात्रा के दौरान हुए हवाई दुर्घटना में मारे गए। उनका बॉडी भी नहीं मिला सका। पर कोई भी एजेंसी इस मौत के रहस्य को नहीं सुलझा सका।

यदि आप इस पोस्ट को पसंद करते है तो Facebook, Google Plus, Whatsapp और Twitter पर शेयर करे।

Spread the love

Related Posts

  • Jawaharlal Nehruकौन थे, भारत के वह प्रधानमंत्री, जो देश के लिए जेल भी गए थे
  • bhagat singhकौन था ? जिसने मात्र 3 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत को हिला दिया था | Bhagat Singh की पूरी कहानी
  • chhatrapati-shivaji-maharajशिवाजी महाराज : Life History, Wars, Victories
  • B R Ambedkarजिसे कुओं से पानी पीने और मंदिरों में प्रवेश पर बैन था, उसी ने बनाया आधुनिक भारत

Filed Under: Historical Persons

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search The Blog & Hit Enter

Join Us on Social Sites

Facebook
Twitter
Youtube

Latest Posts

  • Best 30 Teddy Day Images
  • [Best 51] Teddy Day Message Status in Hindi [Romantic 2023]
  • [Best 25] Rose Day Image in Hindi-HD Pic रोज डे वॉलपेपर 2023
  • [Best 51] Promise Day Message Status in Hindi- Romantic
  • [Best 60] Valentine Day Wishes Shayari in Hindi

Copyright © 2023 · About Me · Contact Me · Privacy Policy · TOS · Disclaimer · Sitemap · DMCA.com Protection Status