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Best Vibhakti in Sanskrit Tables-Karak in Sanskrit 2023 PDF

By : Ravi Kumar

हिन्दी से संस्कृत सीखने के दौरान विभक्ति की बहुत जरूरत पड़ती है, क्योंकि कर्ता का क्रिया और कर्म से जो संबंध होता है, वो कई रूपों में होते है, जिसके सही अर्थ को व्यक्त करने के लिए विभक्ति की जरूरत पड़ती है। इसलिए हम पेश कर रहे है-

अनुक्रम

  • संस्कृत विभक्ति
    • स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में
    • 1.कर्ता कारक(प्रथमा विभक्ति)
    • 2.कर्म कारक(द्वितीया विभक्ति)
    • 3.करण कारक(तृतीया विभक्ति)
    • 4.संप्रदान कारक(चतुर्थी विभक्ति)
    • 5.अपादान कारक(पंचमी विभक्ति)
    • 6.संबंध कारक(षष्टि विभक्ति)
    • 7.अधिकरण कारक(सप्तमी विभक्ति)
    • 8.सम्बोधन कारक(अष्टमी विभक्ति)

संस्कृत विभक्तिSanskrit Vibhakti

क्रिया के साथ जिसका सीधा संबंध हो, उसे कारक कहते है।

जैसे राम: पुस्तकं पठति (राम पुस्तक पढ़ता है)

यहाँ पढ़ता है का सीधा संबंध राम और पुस्तक से है, इसलिए राम कर्ताकारक और पुस्तक कर्म कारक हुआ।

ये कारक आठ प्रकार के होते है, जो संस्कृत में वचन और अर्थ के अनुसार विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होते है, जिसे विभक्ति कहते है।

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स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में

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कारकविभक्ति
कर्ता कारकप्रथमा विभक्ति
कर्म कारकद्वितीया विभक्ति
करण कारकतृतीया विभक्ति
संप्रदान कारकचतुर्थी विभक्ति
अपादान कारकपंचमी विभक्ति
संबंध कारकषष्टि विभक्ति
अधिकरण कारकसप्तमी विभक्ति
सम्बोधन कारकअष्टमी विभक्ति
कर्तानेबालक ने खाया हैबालक: खादति
कर्मकोबालक ने रोटी खाया हैबालक: रोटिकां खादति
करणसे, द्वाराबालक कलम से लिखता हैबालक: कलमेन लिखति
संप्रदानको, के लिएराम बालक को पुस्तक देता हैराम: बालकाय् पुस्तकं ददाति
अपादानसे (अलग होने के लिए)घर से बालक जाता हैगृहात् बालक: गच्छति
सन्बन्धका, के, कीबालक की माता जाती हैबालकस्य मातृ गच्छति
अधिकरणमें, परबालक पर पुस्तक हैबालके पुस्तकं अस्ति
सम्बोधनहे, अरेअरे बालकहे बालक:

1.कर्ता कारक(प्रथमा विभक्ति)

जिसका संबंध क्रिया को करने से है या जो क्रिया करता है, उसे कर्ता कारक कहते है।

प्राय: कर्ता कारक के बाद ‘ने’ पाया जाता है।

जैसे – अहम पठामि (मैं पढ़ता हूँ)यहाँ मैं कार्य कर रहा है। वह कर्ता कारक है।

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2.कर्म कारक(द्वितीया विभक्ति)

वाक्य में जिसपर कर्म का प्रभाव पड़े, उसे कर्म कारक कहते है।वाक्य में कर्म पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि उनके पीछे “को” शब्द होता है।

जैसे –

बाल: चन्द्रं पश्यति (बच्चा चंद्रमा को देखता है) इस वाक्य में कर्ता बच्चा द्वारा चंद्रमा को देखा जाता है, जो कर्म कारक हुआ।

3.करण कारक(तृतीया विभक्ति)

जो क्रिया को करने में सहायता प्रदान करता हो, उसे करणकारक कहते है।करण कारक वाक्य में साधन की ओर इंगित करता है, जो वास्तव में कार्य करने को सरल बना देता है।

इन साधन के पीछे प्राय: ‘से’ होता है। इनसे आप उन्हें पहचान सकते है।

जैसे-

राधा कलमेन लिखति (राधा कलम से लिखती है)

कलम – करण कारक

4.संप्रदान कारक(चतुर्थी विभक्ति)

कर्ता जिसके लिए कार्य करता है, उसे संप्रदान कारक कहते है।

इस कारक के पीछे ”को’ या “के लिए ” शब्द होते है।

जैसे –

छात्राय पुस्तकं ददाति (छात्र को पुस्तक दिया जाता है)

छात्र को – संप्रदान कारक

बालकाय मोदकं रोचते (बालक को लड्डू रोचक लगता है)

5.अपादान कारक(पंचमी विभक्ति)

वाक्य में अलग होने का अर्थ बोध हो, उसे अपादान कारक कहते है। वाक्य में आप “से” शब्द से इनका पता लगा सकते है, जो इस कारक के बाद मिलेगा।

जैसे –

वृक्षात् पत्राणि पतन्ति (पेड़ से पत्ते गिरते हैं)

पत्ते- अपादान कारक

6.संबंध कारक(षष्टि विभक्ति)

जो कर्ता से संबन्धित हो या कर्ता के संबंध को दर्शाता हो, उसे संबंध कारक कहते है।

इस कारक को आप “का, के, की” से जान सकते है।जैसे – विद्यालस्य छात्र: (स्कूल का छात्र)

7.अधिकरण कारक(सप्तमी विभक्ति)

क्रिया के आधार को अधिकरण कारक कहते है।

जैसे-

वृक्षे काक: अस्ति (पेड़ पर कौआ है) इन्हें आप “में, पे, पर ” से पहचान सकते है।

8.सम्बोधन कारक(अष्टमी विभक्ति)

वह शब्द, जिससे से किसी को संबोधित या पुकारा जाता है।

जैसे – हे बालक!

इसमें ! विस्मयादी चिह्न का प्रयोग होता है।

बालक शब्द की विभक्तियाँ

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाबालक:बालकौबालका:
द्वितीयाबालकंबालकौबालकान्
तृतीयाबालकेनबालकेभ्याम्बालकै:
चतुर्थीबालकायबालकेभ्याम्बालकेभ्य:
पञ्चमीबालकात्बालकेभ्याम्बालकेभ्य:
षष्टिबालकस्यबालकयो:बालकानां
सप्तमिबालकेबालकयो:बालकेषु
सम्बोधनहे बालक!है बालकौ!हे बालका!

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Filed Under: Sanskrit Grammar

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