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Best 10 Sanskrit Dhatu Roop List PDF- संस्कृत धातुरूप

By : Ravi Kumar

संस्कृत में धातुरूप वो चीज, जो कार्य की वास्तविक स्थिति को व्यक्त करता है, जो कि वर्तमान, भूत या भविष्य में हो सकता है। यह संस्कृत की पिलर है।

इसलिए संस्कृत सीखने वालों के लिए इन्हें पहले जानना-सीखना बेहद जरूरी है, जिसे हम इस पोस्ट में पेश कर रहे है। पसंद आता है तो मित्रों के साथ Whatsapp & FB पर शेयर कर सकते है-

  • Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद

अनुक्रम

  • संस्कृत धातुरूप
    • स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में
    • लट् लकार (वर्तमान काल)
    • लोट् लकार (आज्ञा)
    • लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)
    • लिट् लकार (परोक्ष् भूतकाल)
    • लुङ् लकार(सामान्य भूतकाल काल)
    • ऌङ् लकार (हेतुहेतुमद भूतकाल)
    • विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)
    • ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)
    • लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यकाल)
    • आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद देना)

संस्कृत धातुरूपsanskrit dhaturoop

क्रिया के मूल रूप को धातु कहते है या जो किसी कार्य के होने, कार्य के जारी रहने या होने वाले कार्य को व्यक्त करे, उसे संस्कृत में धातु कहते है। 

जैसे गच्छ 

इनकी कुल संख्या लगभग 3356 है। 

संस्कृत में क्रिया के रूप काल, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते रहते है और वाक्य में उनके अनुसार ही प्रयुक्त होते है।

काल के अनुसार ये 10 रूपों में होते है, जिसे लकार भी कहते है। पर मुख्य रूप से पाँच लकार का ही उपयोग होता है। जो है – 

  • लट् लकार (वर्तमान काल)
  • लोट् लकार (आज्ञा)
  • लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)
  • विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)
  • ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)
  • Complete Sanskrit Alphabet Chart With HD Picture & PDF 

स्वयं संस्कृत सीखें मात्र 30 दिन में

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लट् लकार (वर्तमान काल)

जब कोई क्रिया वर्तमान काल में घटित हो, उसके लिए क्रिया के इस रूप का प्रयुक्त होता है।

जैसे –

राम: गच्छति (राम जाता है)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमतित:अन्ति
मध्यमसिथ:थ
उत्तमआमिआव:आम:

प्रयोग – पठ (पढ़ना)

प्रथम पुरुष
एक.पठतिस: पठति :वह पढ़ता है
द्वि.पठत:तौ पठत:वे दोनों पढ़ते हैं
बहु.पठन्तिते पठन्तिवे सब पढ़ते हैं
मध्यम पुरुष
एक.पठसित्वं पठसितुम पढ़ते हों
द्वि.पठथ:युवाम् पठथ:तुम दोनों पढ़ते हो
बहु.पठथयुयम् पठथतुम सब पढ़ते हो
उत्तम पुरुष
एक.पठामिअहं पठामिमैं पढ़ता हूँ
द्वि.पठाव:आवां पठाव:हम दोनों पढ़ते हैं
बहु.पठाम:वयम् पठाम:हम सब पढ़ते हैं

लोट् लकार (आज्ञा)

जब वाक्य में आज्ञा या आदेश का बोध हो, तब क्रिया का आज्ञा रूप आता है।

जैसे-

त्वं पठ (तुम पढ़ों)

  • Sanskrit Mein Ginti-1 To 100 Counting Number in Sanskrit
पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमतुताम्अन्तु
मध्यमअतम्त
उत्तमआनिआवआम

प्रयोग –

प्रथम पुरुष
एक.पठतुस: पठतुवह पढे
द्वि.पठताम्तौ पठतांवे दोनों पढ़ें
बहु.पठन्तुते पठन्तुवे सब पढ़ें
मध्यम पुरुष
एक.पठत्वं पठतुम पढ़ों
द्वि.पठतम्युवाम् पठतम्तुम दोनों पढ़ों
बहु.पठतयूयम् पठततुमसब पढ़ों
उत्तम पुरुष
एक.पठानिअहम् पठानिमैं पढ़ूँ
द्वि.पठावआवाम् पठावहम दोनों पढ़ें
बहु.पठामवयम् पठामहम सब पढ़ें

लङ्‌ लकार (अनद्यतन भूतकाल)

जो क्रिया कल या परसो हुआ हो, तब इस लकार का उपयोग किया जाता है।

जैसे –

सः ह्यः अभवत् (वह कल हुआ था)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमत्ताम्अन्
मध्यमअ:तम्त
उत्तमअम्आवआम

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.अपठत्स: अपठत्उसने पढ़ा
द्वि.अपठताम्तौ अपठताम्उन दोनों ने पढ़ा
बहु.अपठन्ते अपठन्उन सब ने पढ़ा
द्वितीय पुरुष
एक.अपठ:त्वं अपठ:तुमने पढ़ा
द्वि.अपठतम्युवाम् अपठतम्तुम दोनों ने पढ़ा
बहु.अपठतयूयम् अपठततुम सब ने पढ़ा
उत्तम पुरुष
एक.अपठम्अहं अपठम्मैंने पढ़ा
द्वि.अपठावआवाम् अपठावहम दोनों ने पढ़ा
बहु.अपठामवयम् अपठामहम सब ने पढ़ा

लिट् लकार (परोक्ष् भूतकाल)

जब कार्य भूतकाल में घटित हो, पर आँखों के सामने में ना हो। तब लिट् लकार का प्रयोग होता है।

जैसे-1857 की क्रांति हुई।

इसका प्रयोग प्राय: इतिहास को व्यक्त करने के लिए होता है, जैसे – राम: रावणं ममार (राम ने रावण को मारा)

वही उत्तम पुरुष में इसका प्रयोग केवल स्वपन या उन्मत्त की स्थिति में होता है, जैसे सुप्तोऽहं किल विलाप (मैंने सोते में विलाप किया)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमअअतुस्उस्
मध्यमथअथुस्अ
उत्तमअवम

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.पपाठस: पपाठवह पढा
द्वि.पेठतु:तौ पेठतु:वे दोनों पढे
बहु.पठन्तिते पठन्तिवे सब पढे
मध्यम पुरुष
एक.पेठिथत्वं पेठिथआपने पढा
द्वि.पेठथु:युवां पेठथु:आप दोनों ने पढा
बहु.पेठयूयं पेठआप सब ने पढा
उत्तम पुरुष
एक.पपाठअहं पपाठमैंने पढा
द्वि.पेठिवआवां पेठिवहम दोनों ने पढे
बहु.पेठिमवयं पेठिमहम सब ने पढे

लुङ् लकार(सामान्य भूतकाल काल)

जो क्रिया ठीक वर्तमान काल में बिता हो, तब इस लकार की जरूरत पड़ती है।

जैसे –

अहं पुस्तकं अपाठिषं (मैंने पुस्तक पढ़ी)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमद्ताम्अन्
मध्यमस्तम्त
उत्तमअम्वम

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.अपाठीत्स: अपाठीत्वह पढा
द्वि.अपाठिष्तांतौ अपाठिष्तांवे दोनों पढे
बहु.अपाठिषु:ते अपाठिषु:वे सब पढे
मध्यम पुरुष
एक.अपाठी:त्वं अपाठी:आपने पढा
द्वि.अपाठिष्टंयुवां अपाठिष्टंआप दोनों ने पढा
बहु.अपाठिष्टयूयं अपाठिष्टआप सब ने पढा
उत्तम पुरुष
एक.अपाठिषम्अहं अपाठिषम्मैंने पढा
द्वि.अपाठिष्वआवां अपाठिष्वहम दोनों ने पढे
बहु.अपाठिष्मवयं अपाठिष्महम सब ने पढे

ऌङ् लकार (हेतुहेतुमद भूतकाल)

जिस वाक्य में एक क्रिया दूसरे क्रिया पर आश्रित हो या कारण और फल के संबंध में क्रिया सिद्ध ना हो, उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते है।

इस तरह के वाक्य में एक शर्त और प्राय: दो क्रिया पायी जाती है।

जैसे-

अहं अपठिष्यं तहिं विद्वान अभविषयं (यदि मैं पढ़ता तो विद्वान हो जाता)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमस्यत्स्यताम्स्यन्
मध्यमस्यस्स्यतम्स्यत्
उत्तमस्यमस्यावस्याम

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.अपठिष्यत्स: अपठिष्यत्उसने पढा होता
द्वि.अपठिष्यताम्तौ अपठिष्यताम्उन दोनों ने पढा होता
बहु.अपठिष्यन्ते अपठिष्यन्उन सबने पढा होता
मध्यम पुरुष
एक.अपठिष्य:त्वं अपठिष्य:आपने पढा होता
द्वि.अपठिष्यतम्युवां अपठिष्यतम्आप दोनों ने पढा होता
बहु.अपठिष्यतयूयं अपठिष्यतआप सब ने पढा होता
उत्तम पुरुष
एक.अपठिष्यम्अहं अपठिष्यम्मैंने पढा होता
द्वि.अपठिष्यावआवां अपठिष्यावहम दोनों पढे होते
बहु.अपठिष्यामवयं अपठिष्यामहम सब ने पढे होते

विधिलिङ्‌ लकार (चाहिए)

जिस वाक्य में चाहिए का अर्थ हो, तब इस क्रिया रूप को प्रयुक्त किया जाता है।

जैसे-

स: पठेत (उसे पढ़ना चाहिए)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमएतएताम्एयु:
मध्यमए:एतम्एत
उत्तमएयम्एवएम

प्रयोग

प्रथम पुरुष
एक.पठेतस: पठेतउसे पढ़ना चाहिए
द्वि.पठेताम्तौ पठेताम्उन दोनों को पढ़ना चाहिए
बहु.पठेयु:ते पठेयु:उन लोगों को पढ़ना चाहिए
मध्यम पुरुष
एक.पठे:त्वं पठे:तुम्हें पढ़ना चाहिए
द्वि.पठेतम्युवां पठेतम्तुम दोनों को पढ़ना चाहिए
बहु.पठेतयूयम् पठेततुमसब को पढ़ना चाहिए
उत्तम पुरुष
एक.पठेयमअहं पठेयममुझे पढ़ना चाहिए
द्वि.पठेवआवां पठेवहम दोनों को पढ़ना चाहिए
बहु.पठेमवयम् पठेमहम सब को पढ़ना चाहिए

ऌट् लकार (सामान्य भविष्यकाल)

जब क्रिया ठीक होने वाली हो या जिसमे कल, परसों जैसे विशेषण ना हो। तब इस लकार की जरूरत पड़ती है।

जैसे-

राम: पठिस्यति (राम पढ़ेगा)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमस्यतिस्यत:स्यन्ति
मध्यमस्यसिस्यथ:स्यथ
उत्तमस्यामिस्याव:स्याम:

प्रयोग

प्रथम पुरुष
एक.पठिष्यतिस: पठिष्यतिवह पढ़ेगा
द्वि.पठिष्यत:तौ पठिष्यत:वे दोनों पढ़ेंगे
बहु.पठिष्यन्तिते पठिष्यन्तिवे सब पढ़ेंगे
मध्यम पुरुष
एक.पठिष्यसित्वं पठिष्यसितुम पढ़ोगे
द्वि.पठिष्यथ:युवाम पठिष्यथ:तुम दोनों पढ़ोगे
बहु.पठिष्यथयूयम् पठिष्यथतुम सब पढ़ोगे
उत्तम पुरुष
एक.पठिष्यामिअहं पठिष्यामिमैं पढ़ूँगा
द्वि.पठिष्याव:आवां पठिष्याव:हम दोनों पढ़ेंगे
बहु.पथिष्याम:वयं पथिष्याम:हमलोग पढ़ेंगे

लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यकाल)

जब वाक्य में क्रिया आज घटित ना होकर, कल-परसो हो, उसे अनद्यतन भविष्य काल कहते है।

-बीती हुई रात के 12 बजे से आने वाली रात के 12 बजे तक के काल को अद्यतन काल कहते है और आने वाली रात्रि के बारह बजे के बाद के समय को अनद्यतन काल कहा जाता है।

यानि आज रात के 12 बजे के बाद जो क्रिया होने वाला है, उसके लिए ये लकार उपयोग कर सकते है-

जैसे –

ते श्वः विद्यालये भवितारः (वे कल विद्यालय में होंगे)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमतातारौतारस्
मध्यमतासितास्थस्तास्थ
उत्तमतास्मितास्वस्तास्मस्

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.पठितास: पठितावह पढ़ेगा
द्वि.पठितारौतौ पठितारौवे दोनों पढ़ेंगे
बहु.पठितार:ते पठितार:वे सब पढ़ेंगे
मध्यम पुरुष
एक.पठितासित्वं पठितासिआप पढ़ोगे
द्वि.पठितास्थ:युवां पठितास्थ:आप दोनों पढ़ेंगे
बहु.पठितास्थयूयं पठितास्थआप सब पढ़ेंगे
उत्तम पुरुष
एक.पठितास्मिअहं पठितास्मिमैं पढ़ूँगा
द्वि.पठितास्व:आवां पठितास्व:हम दोनों पढ़ेंगे
बहु.पठितास्म:वयं पठितास्म:हम सब पढ़ेंगे

आशीर्लिङ् लकार (आशीर्वाद देना)

इसका प्रयोग आशीर्वाद के अर्थ में होता है।
जैसे – राम: विजियात् (राम विजयी हो)

पुरुषएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमयात्यास्ताम्यासुस
मध्यमयास्यास्तम्यास्त
उत्तमयासम्यास्वयास्म

प्रयोग-

प्रथम पुरुष
एक.पठ्यात्स: पठ्यात्वह पढ़े
द्वि.पठ्यास्ताम्तौ पठ्यास्ताम्वे दोनों पढ़े
बहु.पठ्यासुते पठ्यासुवे सब पढ़े
मध्यम पुरुष
एक.पठ्या:त्वं पठ्या:तुम पढ़ो
द्वि.पठ्यास्तम्युवां पठ्यास्तम्तुम दोनों पढ़ें
बहु.पठ्यास्तयूयं पठ्यास्ततुम सब पढ़ें
उत्तम पुरुष
एक.पठ्यासम्अहं पठ्यासम्मैं पढ़ूँ
द्वि.पठ्यास्वआवां पठ्यास्वहम दोनों पढ़े
बहु.पठ्यास्मवयं पठ्यास्महम सब पढ़ें

Pro Tip – काफी लकार हो चुके है, किसको किस वक्त उपयोग करना है। यह बड़ा confusing हो सकता है। इसलिए हम पेश कर रहे है, यह शानदार श्लोक, जो आपको मदद करने वाला है-

लट् वर्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिटस्तथा।
विध्याशिषोलिङ् लोटौ च लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति॥

लट् लकार वर्तमान काल में, लेट् लकार केवल वेद में, भूतकाल में लुङ् लङ् और लिट्, विधि और आशीर्वाद में लिङ् और लोट् लकार तथा भविष्यत् काल में लुट्, लृट् और लृङ् लकारों का उपयोग होता है।

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