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Best Sanskrit Alphabet Letters Chart with HD Picture PDF

By : Ravi Kumar

संस्कृत भाषा हो या हिन्दी, सभी में Grammar बहुत important होता है, क्योंकि व्याकरण उन्हें मर्यादित और शुद्ध अर्थपूर्ण बनाता है।
वही व्याकरण जानना इसलिए बेहद जरूरी है कि इनके बिना किसी भाषा में लिखे साहित्य, इतिहास को पढ़ नहीं सकेंगे, संस्कृत में खासकर वेद, मीमांसा पढ़ने के लिए बेहद जरूरी है।

इसलिए संस्कृत में कहा गया है-

व्याक्रियन्ते व्युत्पाद्यन्ते शब्दा अनेनेति व्याकरणम्।

व्याकरण में भाषा-संबंधी नियम रहने के कारण भाषा मर्यादित एवं परिष्कृत रहती है। इसलिए व्याकरण का महत्व अक्षुण्ण है।

हम इसे भाषा की आत्मा कह सकते है, जिसकी शुरुआत वर्ण (alphabet) से होती है। जिससे पद (word) बनते है और पदों से पूरा एक वाक्य बनता है।

वास्तव में व्याकरण इन तीनों भागों में बंटा हुआ है। हम इस पोस्ट में संस्कृत वर्ण को जानेंगे-

अनुक्रम

  • Sanskrit Alphabet (वर्ण)
    • स्वर वर्ण (Vowel Alphabet)
    • व्यंजन वर्ण
    • उच्चारण के आधार पर व्यंजन प्रकार
    • उच्चारण स्थल के आधार वर्ण प्रकार
    • FAQ

Sanskrit Alphabet (वर्ण)sanskrit alphabet

जिस सार्थक ध्वनि का खंडन नहीं हो सकता है, उसे वर्ण या अक्षर कहते है। जैसे क, ख, ग
यह दो प्रकार के होते है-
1.स्वर
2.व्यंजन

इन्हें हम थोड़ा डिटेल्स में जान लेते है-

  • Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद

स्वर वर्ण (Vowel Alphabet)

जिस सार्थक ध्वनि के उच्चारण में अन्य किसी वर्ण की जरूरत नहीं पड़ें तो, उसे स्वर वर्ण कहते है। आप आसानी से इन्हें किसी दूसरे वर्ण के बिना बोल सकते है।
ये 13 होते हैं-

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ_, ऌ, ए, ऐ, ओ, औ।Sanskrit Alphabet Picture

इनको तीन भागों में बांटा जाता है-
1.हृस्व स्वर
2.दीर्घ स्वर
3.प्लुत स्वर

अब हम इन्हें जरा जान लेते है-
हृस्व स्वर – इस तरह के स्वर के उच्चारण में बेहद कम समय लगता है, जो हैं- अ, इ, उ, ऋ और लृ। इन पांचों को
मूल स्वर भी कहा जाता है।

दीर्घ स्वर- इसके उच्चारण में समय डबल लगता है, या यूं कहें इस बोलने में थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है।
ये आठ हैं- आ, ई, ऊ, ऋ_, ए, ऐ, ओ और औ।

प्लुत स्वर- इसके उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय और ज़ोर लगता है। इसका मुख्यत: प्रयोग सम्बोधन में होता है। जैसे हे श्याम!

व्यंजन वर्ण

जिसे बोलने के लिए स्वर की हेल्प लेना पड़े, उसे व्यंजन वर्ण कहते है। पूर्ण व्यंजन वर्ण में अ स्वर का मिलन होता है। ये 33 होते है।

कवर्ग – क ख ग घ ड़
चवर्ग – च छ ज झ ञ
टवर्ग – ट ठ ड ढ ण
तवर्ग – त थ द ध न
पवर्ग – प फ ब भ म
अंत:स्थ – य र ल व
ऊष्म – श ष स ह

नोट- अनुस्वार(‘) और विसर्ग (:) भी बिलकुल व्यंजन की तरह वर्क करते है, पर इन्हें वर्णों में गिनती नहीं की जाती है। पर ये बेहद इंपोर्टेंट है। अनुस्वार का उच्चारण नाक बल से और विसर्ग का उच्चारण आधा ह के समान होता है।

उच्चारण के आधार पर व्यंजन प्रकार

ये सात प्रकार के होते है-

स्पर्श वर्ण – क से लेकर म तक को स्पर्श वर्ण कहते है।

अंत:स्थ – य, र, ल और व को अंत:स्थ वर्ण कहते है।

ऊष्म – श, ष, स और ह को ऊष्म वर्ण कहते है।

घोष – वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण तथा य, र, ल, व और ह को घोष कहा जाता है।

अघोष – वर्गों के प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा श, ष, स अघोष होते है।

अल्पप्राण – वर्गों के प्रथम, तृतीय, पंचम और य, र, ल, व अल्पप्राण होते हैं।

महाप्राण- वर्णों के द्वितीय, चतुर्थ तथा श, ष, स, ह वर्ण महाप्राण होते हैं।

उच्चारण स्थल के आधार वर्ण प्रकार

इसके अनुसार वर्णों को 9 प्रकारों में बांटा जाता है-

अकुहविसर्जनीयानां कंठ – अ, आ, कवर्ग, ह् और विसर्ग को कंठ से उच्चारित किया जाता है। इसे कण्ठ्य वर्ण कहलाते है।

इचुयशानां तालु – इ, ई, चवर्ग, य् और श् को तालु से उच्चारित करते है, इसलिए इसे तालव्य वर्ण कहते है।

ऋतुरषानां मूर्ध्दा – ऋ, ऋ_, टवर्ग, र् और ष् का उच्चारण स्थान मूर्ध्दा है, इसलिए इसे मूर्ध्दन्य वर्ण कहा जाता है।

लृतुलसानां दंता:- लृ, तवर्ग, ल् और स् का उच्चारण दाँत से होता है। इसे दंत्य वर्ण कहते है।

उपूपध्मानीयानामोष्ठौ – उ, ऊ और पवर्ग का उच्चारण-स्थान ओष्ठ है, so इसे ओष्ठ्य कहते है।

एदैतो: कंठतालु: – ए और ऐ का उच्चारण स्थान कंठ और तालु है। इसे कण्ठ्य-तालव्य कहते हैं।

ओदौतो: कंठौष्ठम् – ओ और औ को कंठ और होठ से बोला जाता है। इसे कण्ठ्यौष्ठ्य वर्ण कहा जाता है।

वकारस्य दन्तोष्ठं – वकार को दांत और होठ से उच्चारण किया जाता है। इसे दन्त्यौष्ठ्य कहते है।

ञमड़णनानां नासिका च – ञ्, म्, ड़, ण्, और न् को कंठ, तालु, और नासिका से उच्चारण किया जाता है। अनुस्वार को भी नासिका से बोला जाता है।

FAQ

संस्कृत में कितने वर्ण होते है?
46 (13 स्वर वर्ण और 33 व्यंजन वर्ण)

संस्कृत में वर्ण कितने प्रकार के होते है?
2, स्वर और व्यंजन

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