Hindi-Biography.com

Treasure of Info

  • Home
  • Valentine Week List
  • Rose Day Shayari
  • Propose Day Shayari
  • Chocolate Day Shayari
  • Teddy Day Shayari

Full Sandhi in Sanskrit – Best Rules For Sandhi Viched

By : Ravi Kumar

भाषा कोई भी हो, उसमें अपने Message को convey करने के लिए शब्दों को तोड़ना और जोड़ना पड़ता ही है, पर जरूरी है कि सार्थक रूप से खंडित हो, तभी सही अर्थ निकल सकेगा, वरना अनर्थ हो जाएगा। ऐसे में व्याकरण की महत्वपूर्ण भाग संधि आपकी हेल्प कर सकती है, जिसे हम आसान भाषा में पेश कर रहे है-

अनुक्रम

  • Sandhi in Sanskrit
    • स्वर संधि
    • व्यञ्जन संधि
    • विसर्ग संधि

Sandhi in SanskritSanskrit Sandhi

संधि – दो वर्णों के परस्पर मेल से उत्पन्न विकार को संधि कहते है और संधि शब्द को सार्थक अर्थों में विभक्त करने को संधि विच्छेद कहते है।

जैसे – देव + आलय: = देवालय:

इसके तीन भेद होते हैं-

  • स्वर संधि
  • व्यञ्जन संधि
  • विसर्ग संधि

अब इन्हें थोड़ा डीटेल में जान लेते है-

  • Hindi To Sanskrit Translation-5 Easy Rule में संस्कृत अनुवाद

स्वर संधि

दो स्वर वर्णों के मेल को स्वर संधि कहते है।

जैसे – रवि + इन्द्र: = रवीन्द्र:

ये संधि पाँच प्रकार की होती है –
1.दीर्घ
2.गुण
3.वृद्धि
4.यण
5.अयादि

इन पाँच प्रकारों में संधि बनाने के अलग -अलग नियम होते है, जिन्हें हम देख लेते है-

क.दीर्घ स्वर संधि

सूत्र – अक: सवर्णे दीर्घः

अक् यानि एक पद के अंत में अ, इ, उ, ऋ, लृ हो और दूसरे पद के शुरू में सवर्ण स्वर हो तो दोनों स्वर मिलकर दीर्घ स्वर बनाते है।

नियम -1 अ या आ का अ या आ मिलन से आ बनता है।

अ + अ = आ – राम + अनुज: = रामानुज:
अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय
आ + अ = आ – विद्या+अर्थी = विद्यार्थी
आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय

नियम-2 इ या ई का इ या ई से मिलन से दोनों के स्थान पर ई बन जाता है।

इ+इ = ई – मुनि+इन्द्र = मुनीन्द्र
इ+ई = ई – कवि+ईश्वर: = कवीश्वर:
ई+ इ = ई – मही + इन्द्र = महीन्द्र
ई+ई = ई – लक्ष्मी + ईश: = लक्ष्मीश:

नियम-3 उ या ऊ का उ या ऊ के मिलन से ऊ बन जाता है।

उ+उ = ऊ – भानु + उदय = भानूदय
उ+ऊ = ऊ – सिधु + ऊर्मि = सिधूर्मि
ऊ+ उ = ऊ – वधू + उत्सव: = वधूत्सव
ऊ + ऊ = ऊ – वधू + ऊर्जा = वधूर्जा

  • Complete Sanskrit Alphabet Chart With HD Picture

नियम-4 ऋ के बाद ऋ आए तो ॠ बन जाता है।

ऋ+ऋ = ॠ – पितृ +ऋणम् = पितृृणम

ख.गुण स्वर संधि

सूत्र – आदगुण:

अवर्ण (अ, आ ) का इ या ई के मिलन से ए, उ या ऊ के साथ ओ और ऋ या ॠ आए तो अर् हो जाता है।

नियम -1 अ या आ + इ या ई = ए

अ + इ = ए – नर + इन्द्र: = नरेंद्र:
अ + ई = ए – नर + ईश: = नरेश:
आ+ इ = ए – महा + इन्द्र: = महेंद्र:
आ + ई = ए – महा+ ईश्वर: = महेश्वर:

नियम -2 अ या आ + उ या ऊ = ओ

अ + उ = ओ – हित + उपदेश: = हितोपदेश:
आ + उ = ओ – गंगा + उदकम् = गंगोदकम्
अ + ऊ = ओ – एक + ऊनविंशति: = एकोनविंशति:
आ+ऊ = ओ – महा+ ऊर्मि = महोर्मि:

नियम -3 अ या आ + ऋ = अर्

अ + ऋ = अर् – देव+ ऋषि: = देवर्षि:
आ+ ऋ = अर् – महा + ऋषि = महर्षि

ग. वृद्धि स्वर संधि

सूत्र – वृद्धिरेचि

अ या आ का ए या ऐ मेल से ऐ और ओ या औ आए तो औ हो जाता है।

नियम 1 – अ या आ + ए या ऐ = ए

अ + ए = ए – एक+एक = एकैक
अ + ऐ = ऐ – परम+ ऐश्वर्यम् = परमैश्वर्यम्
आ + ए = ऐ – सदा+ एव = सदैव
आ + ऐ= ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

नियम – 2 अ या आ + ओ या औ = औ

अ + ओ = औ – ग्राम + ओक: = ग्रामौक:
आ + ओ = औ – गंगा + ओघ = गंगौघ:
अ + औ = औ – वन + औषधि = वनौषधि
आ+ औ = औ – महा+औषधम् = महौषधम्

घ. यण स्वर संधि

सूत्र – इको यणाचि

इक (इ, उ, ऋ, लृ) के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो इ के जगह य्, उ के स्थान पर व्, ऋ के स्थान पर र् और लृ की जगह ल् हो जाता है।

नियम -1 इ या ई + अ या आ = य् + अ या य् + आ

इ+अ =य् (+ अ) – यदि+ अपि = यद्यपि
इ + आ = य् (+ आ) – अति + आचार: = अत्याचार:
ई + अ = य् (+ अ) – नदी + अर्पण = नद्यर्पण
ई + आ = य् (+ आ) – देवी + आगमन = देव्यागमन

नियम – 2 उ या ऊ + अ या आ या ए = व् + अ या व् + आ या व् + ए

उ + आ = व् (+ आ) – सु + आगतम् = स्वागतम्
उ + अ = व् (+ अ) – अनु + अय = अन्वय
उ + ए = व् (+ ए) – अनु + एषण = अन्वेषण

नियम – 3 ऋ +अ या आ = र् + अ या र् + आ

ऋ+ आ = र् +आ – पितृ + आदेश: = पित्रादेश:

नियम – 4 लृ + आ या अ = ल् + आ + अ

लृ+ आ = ल् (+ आ) – लृ + आकृति: = लाकृति:

ड़.अयादी स्वर संधि

सूत्र – एचोऽयवायावः

एच (ए, ऐ, ओ, औ) के बाद कोई स्वर आए तो ए का अय्, ऐ का आय् , ओ का अव् और औ का आव् बन जाता है।

नियम -1 ए + अ = अय् (+अ)- ने + अनम् = नयनम्

नियम – 2 ऐ + अ = आय् (+अ) – नै + अक: = नायक:

नियम – 3 ओ + अ = अव् (+अ) – पो + अन = पवन

नियम – 4

औ + अ = आव् (+ अ) – पौ + अक: = पावक:
औ + इ = आव् (+इ) – नौ + इक = नाविक

व्यञ्जन संधि

व्यञ्जन का व्यञ्जन से या व्यञ्जन का स्वर से मेल को व्यञ्जन संधि कहते है।

जैसे – दिक् + अम्बर: = दिगम्बर:

व्यंजन संधि 15 प्रकार की होती है, लेकिन मुख्य रूप से तीन ही व्यंजन संधि प्रयोग में आती है, जिन्हें हम
अध्ययन कर लेते है-

क.श्चुत्व संधि

सूत्र – स्तो: श्चुना श्चु;

सकार या तवर्ग के बाद शकार या चवर्ग आए तो क्रमश: सकार के जगह शकार और तवर्ग के जगह चवर्ग हो जाता है।

जैसे –

सत् + चरित्र = सच्चरित्र:
रामस् + शेते = रामश्शेते
जगत् + जननी = जगज्जननी
सत् + जन: = सज्जन:

ख.ष्टुत्व संधि –

सूत्र – स्तो ष्टुनाष्टु

सकार या तवर्ग के साथ षकार या टवर्ग का मिलन हो तो सकार के जगह षकार और तवर्ग के जगह टवर्ग हो जाता है।

जैसे –

उत् + डयनम् = उड्डयनम्
आकृष् + त: = आकृष्ट:
तत् + टीका = तट्टीका

ग.जश्त्व संधि

सूत्र – झलां जशोऽन्ते

प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण किसी वर्ग का प्रथम वर्ण और दूसरे शब्द की शुरुआत स्वर या व्यंजन हो तो उन दोनों के स्थान पर प्रथम वर्ण के वर्ग का तीसरा वर्ण आ जाता है।

जैसे – दिक् + अम्बर = दिगंबर
अच् + अन्त: = अजन्त:
जगत् + बन्धु: = जगद्बन्धु
षट् + रिपु: = षड्रिपु:
अप् + जम् = अब्जम्

विसर्ग संधि

जब स्वर या व्यंजन वर्ण का मेल विसर्ग से हो तो उसे विसर्ग संधि कहते है।

जैसे – मन: + हर: = मनोहर:

विसर्ग संधि 7 प्रकार की होती है, जिनमें 4 ही बेहद प्रमुख है। जिन्हें हम जान लेते है-

क.सत्व संधि

सूत्र – विसर्जनीयस्य स:

नियम -1 विसर्ग के बाद तवर्ग का प्रथम या द्वितीय वर्ण आए तो विसर्ग की जगह स् हो जाता है।

जैसे –

विष्णु: + त्राता = विष्णुस्त्राता

नियम-2 विसर्ग के बाद श, ष, स हो तो क्रमश: श्, ष् , स् हो जाता है। जैसे –

नि: + संदेह = निस्संदेह , नि:सदेह

नियम-3 विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग का श्, त या थ हो तो स् और ट या ठ हो तो ष् हो जाता है। जैसे –

नि: + चल: = निश्चल:
धनु: + टंकार: = धनुष्टंकार:

ख.उत्व् संधि
सूत्र – हशि च

नियम-1 यदि विसर्ग के पहले अ हो और बाद में वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण या य, र, ल, व, ह आए तो अ के साथ विसर्ग का ओ हो जाता है।

अ: + वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, पंचम वर्ण या य, र, ल, व, ह = ओ

सर:+ वर: = सरोवर:
पय: + द: = पयोद:
मन:+ हर: = मनोहर:
शीत: + वायु: = शीतोवायु:

नियम -2 यदि विसर्ग से पहले अ हो और बाद में भी अ हो तो विसर्ग का ओ और द्वितीय अ लोप हो जाता है।
अ : + अ = ओ + ऽ

क: + अयम् = कोऽयम्

नियम -3 विसर्ग से पहले अ हो और बाद में अ छोड़कर कोई स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है।

यश: + इच्छा = यशइच्छा
देव: + ऋषि: = देवऋषि:

ग.रुत्व संधि
सूत्र – ससजुषोरु:

नियम- विसर्ग से पहले अ/आ को छोड़कर स्वर हो और आगे कोई स्वर या तृतीय वर्ण आए तो विसर्ग का र् बन जाता है।

नि: + बल = निर्बल
नि: + गुण = निर्गुण
दु: + बल = दुर्बल
नि: आशा = निराशा

घ.विसर्ग लोप संधि

स: या एष: के बाद अ के सिवाय दूसरा स्वर या व्यंजन हो तो : का लोप हो जाता है

स: + चलति = सचलती
एष:+वदति = एषवदति

यदि आपको पोस्ट पसंद आए तो अपने मित्र के Whatsapp & FB Timeline पर जरूर शेयर करे।

.

Spread the love

Related Posts

  • sanskrit alphabetBest Sanskrit Alphabet Letters Chart with HD Picture PDF
  • sanskrit mein gintiSanskrit Mein Ginti-1 To 100 Counting Number in Sanskrit
  • lakar in sanskritBest 10 Lakar in Sanskrit [सभी सरल संस्कृत लकार टेबल]
  • Sanskrit VibhaktiBest Vibhakti in Sanskrit Tables-Karak in Sanskrit 2023 PDF

Filed Under: Sanskrit Grammar

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search The Blog & Hit Enter

Join Us on Social Sites

Facebook
Twitter
Youtube

Latest Posts

  • [Best 51] Teddy Day Message Status in Hindi [Romantic 2023]
  • [Best 25] Rose Day Image in Hindi-HD Pic रोज डे वॉलपेपर 2023
  • [Best 51] Promise Day Message Status in Hindi- Romantic
  • [Best 60] Valentine Day Wishes Shayari in Hindi
  • [Best 51] Hug Day Quotes in Hindi –रोमांटिक हग डे कोट्स 2023

Copyright © 2023 · About Me · Contact Me · Privacy Policy · TOS · Disclaimer · Sitemap · DMCA.com Protection Status