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कौन है अपने से कई गुणी ऊंची रैंकिंग वाली खिलाड़ियों को मिनटों में हराने वाली ?

By : Ravi Kumar

दीपा कर्माकर से शुरू हुई चिंगारी श्रीकांत तक पहुँचते शोले में बदला, जो साक्षी मलिक तक ब्रोंज के रूप में पहुंचा, अब यह शोला अनंत रूप धारण कर चुका है, जो देश की बेटी P V Sindhu तक सिल्वर के रूप में पहुँच चुका है, जिसपर सिंधु को टोक्यो ऑलिंपिक 2020 में पीला  रंग चढ़ाना है।

पूरा देश सलाम करता इस वीर बेटी को। जिसने अपने टैलेंट और आत्म-विश्वाश से देश को गर्व से सीना चौड़ा करने का अमूल्य क्षण दी।

इन सबके पीछे देश की इस बेटी की असीम समर्पण, जी-तोड़ मेहनत और लगन है।

फ्रेंड, 12 साल की उम्र में 56 किमी. ट्रेवल कर एकेडमी पहुँच कर बैडमिंटन सीखना आसान ना था।

आखिर क्या बात थी कि 12 साल की छोटी उम्र में सिंधु 56 किमी जैसी लंबी दूरी तय करने के बावजूद कभी थकी नहीं, जबकि उन्हें सुबह 4 बजे ही घर छोड़ना पड़ता था ? यहीं सब जानेंगे P V Sindhu की इस Hindi Biography से।

अनुक्रम

  •    P V Sindhu Hindi Biography (Wiki)
    • Parents & Childhood
    • Badminton Life
    • विजयी अभियान
    • Rio Olympics
    • Quick Fact
      • Bio Data
      • Family
    • लेखक के शब्द

   P V Sindhu Hindi Biography (Wiki)p v sindhu

Parents & Childhood

P V Sindhu का जन्म तेलुगू आधारित जाट परिवार में हुआ था। सिंधु के पिता पीवी रमन और माँ पी विजय दोनों वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके है। जबकि सिंधु बैडमिंटन खेलती है।

जब इस बारे में उनके पिता से पूछा गया तो वे कहते है,

वह भारत के पूर्व बैडमिंटन और वर्तमान कोच पुल्लेला गोपीचन्द के सक्सेस से काफी प्रभावित थी। एक दिन तमिलनाडू के निवर्तमान चीफ मिनिस्टर एन. चन्द्रबाबू के द्वारा पुल्लेला गोपीचन्द को सम्मानित किया गया। जिसे देखकर पीवी सिंधु काफी प्रभावित हुई और बैडमिंटन को चुनी

उस दिन यानि 2001 में पुल्लेला गोपीचन्द All England Open Badminton Champion थे। जिससे सिंधु खासा प्रभावित हुई और बैडमिंटन खिलाड़ी बनने की दृढ़ संकल्प की।

  • Read Also : न कपड़े थे, न जूते थे, न ही प्रैक्टिस ग्राउंड… फिर भी उसने भारत को ओलिम्पिक में पहुंचाया | दीपा कर्माकर की पूरी कहानी

Badminton Life

इस तरह सिंधु ने सिंकंदराबाद में स्थित Indian Railway Institute of Signal Engineering and Telecommunications के बैडमिंटन कोर्ट में बैडमिंटन सीखाने वाले कोच महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बेसिक्स को सीखी।

इसके बाद वो Inspiring Man यानि पुल्लेला गोपीचन्द से बैडमिंटन की बारीकियाँ सीखने लगी।

सिंधु की डगर इतना आसान ना था। उनके घर और बैडमिंटन एकेडमी के बीच 56 किमी की लंबी दूरी थी, जिसके कारण उनके दिन के पाँच घंटे ट्रेवेलिंग में ही बीत जाता था।

सिंधु बचपन से ही जी-तोड़ मेहनत करने से पीछे नहीं हटती थी। सिंधु समय पर एकेडमी पहुँचने के लिए सुबह 4 बजे ही अपने घर से एकेडमी के लिए चलती थी। (क्योंकि दोपहर का सेशन वर्ल्ड स्टार साइना नेहवाल के लिए रिजर्व था। ) तब जाकर वह समय पर अपनी मंजिल तक पहुँचती थी।

एकेडमी में आने के बाद रोजाना पुल्लेला गोपीचन्द के मार्गदर्शन में खूब पसीना बहाती और अपने साथी खिलाड़ियों के साथ खूब प्रैक्टिस करती और देर शाम को अपने घर को लौट जाती।

12 साल की सिंधु की यहीं दिनचर्या थी, जो किसी भी आम व्यक्ति के दिनचर्या से 5 गुना कठिन है।

  • Read Also : आखिर कैसे बस कंडक्टर की बेटी ने दिलाई भारत को पहला ऑलिंपिक मेडल ? Sakshi Malik की पूरी कहानी

विजयी अभियान

खैर लगातार जी-तोड़ मेहनत और बैडमिंटन की टेक्निकस जल्दी सीखने के कारण वह मजबूत खिलाड़ी बन गई। जिसके कारण उस छोटी-सी उम्र में ही विजयी मेडलों की ढेर लगा दी। जिसके फलस्वरूप सिंधु जल्द ही अपने क्षेत्र का इक्का साबित हुई।

सिंधु ने All India Ranking Championship के अंडर 10, 13, और 14 के Title को जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने जीत का झण्डा गाड़ी।

इतने शानदार परफ़ोर्मेंस के बदौलत जल्द ही सिंधु को 2009 के Sub-Junior Asian Badminton Championships में अपना जौहर दिखाने को मौका मिला, जहां उन्होंने ब्रोंज मेडल जीतकर अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय जीत का स्वाद चखी।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जीत का स्वाद चखने की यह तो शुरुआत थी, जुलाई 2012 में Asia Youth Under 19 championship को जीती।

उसी साल चाइना मास्टर सुपर सीरीज टूर्नामेंट में 2012 के लंदन ओलिम्पिक चैम्पियन ली जुरई को हराकर पूरे बैडमिंटन वर्ल्ड में तहलका मचा दी।

इस चाइना ओपन में सिंधु को इंजरी हो गई, इसके बावजूद वो 77th Senior National Badminton Championships में भाग ली और फाइनल में भी पहुँच गई। पर उस उनका घांव उनके खेल पर ज्यादा भारी पड़ा, जिसके कारण सायली गोखले के हाथों 15-21, 21-15, 15-21 से फ़ाइनल मैच गंवा बैठी।

इस चैंपियनशिप के बाद सिंधु ने पहले अपने इंजरी का इलाज करने का निर्णय की, जिसके कारण उन्होंने जापान ओपन और कई नेशनल चैंपियनशिप को छोड़ दी।

  • Read Also : तापमान 50 डिग्री सेल्सियस, दूरी 65 किमी, समय 7 घंटे 2 मिनट और उम्र मात्र पाँच साल । World Youngest Marathoner Budhia Singh की पूरी कहानी

बरहाल जब P V Sindhu फिट हुई तो दिसंबर 2012 में लखनऊ में आयोजित Syed Modi India Grand Prix Gold में पार्टीसीपेट की, जहां उन्हें दूसरे स्थान से संतुष्ट करना पड़ा, जबकि फ़ाइनल तक पहुँचने तक उन्होंने एक भी सेट नहीं गंवाया।

पर फ़ाइनल मैच में हारने के बावजूद उन्हें वर्ल्ड रैंकिंग में बड़ा फायदा हुआ। वो विश्व बैडमिंटन की 15 वीं रैकिंग पर काबिज हुई, जो उनके कैरियर बेस्ट रैंकिंग थी।

2013 का साल उनके लिए धमाकेदार रहा, जहां वो दुनियाँ के बेहतरीन से बेहतरीन खिलाड़ियों के विरुद्ध जीत हासिल की। इस साल सिंधु ने Malaysian Open Title जीती और दुनियाँ की नं. 2 चीनी खिलाड़ी वांग यीहान को क्वार्टर फ़ाइनल और 7 वीं रैंक की चीनी खिलाड़ी वांग शीइयान को फ़ाइनल में हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी।

इस साल उनकी जीत का सफर यहीं नहीं रुका। उन्होंने मकाउ ओपेन ग्रांड प्रीक्स गोल्ड में कनेडियन मिशेल ली को हराकर अपना पहला ग्रांड प्रीक्स गोल्ड जीती।

साल खत्म होते-होते सिंधु के जीत ने उन्हें बहुत बड़ा तौहफा दिया, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया।

2013 की तरह 2014 में भी P V Sindhu ने अपने स्पिरिट्स से बैडमिंटन वर्ल्ड में खूब धमाल मचाई, जहां वह Glasgow Commonwealth Games और डेन्मार्क में आयोजित वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल तक पहुंची, दुनियाँ की नं.2 शीइयान वांग और दुनियाँ की नं. 5 साउथ कोरिया की खिलाड़ी बा इओन जु को हराकर अपने जीत के सिलसिला को बरकरार रखी। जिसके कारण वर्ल्ड कप में लगातार मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।

दुनियाँ के बड़े से बड़े खिलाड़ियों के खिलाफ जीत मिलने से P V Sindhu अपने खेल में अब और तेज और परिपक्व हो गई। जिसका सबूत 2015 में देखने को मिला, जब उन्होंने डेन्मार्क ओपन में टाई जु इंग, वांग इयान और कैरोलिना मारिन जैसे दुनियाँ के टॉप खिलाड़ियों को धूल चटाई। पर फाइनल में ली जुरई के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

2015 के नवंबर में मकाउ ओपन ग्रांड प्रिक्स गोल्ड जीतकर अपने ग्रांड प्रिक्स गोल्ड की जीत को बरकरार रखने में सफल रही।

Rio Olympics

लगातार जीत अब सिंधु की आदत बन चुकी थी, जिसे हम 2016 में देख सकते है, जहां उन्होंने इस साल के शुरुआत में मलेशिया मास्टर ग्रांड प्रिक्स गोल्ड में गोल्ड जीती और अब रियो ओलिम्पिक में  प्री-क्वार्टर फ़ाइनल में बैडमिंटन वर्ल्ड की नं. 8 पर काबिज ताई जु इंग, क्वार्टर फ़ाइनल में दुनिया की नं. 2 रैंक वाली चाइनीज वांग ईहान और सेमीफाइनल में छठी रैंक की जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा को हराकर रियो ओलिम्पिक के बैडमिंटन फाइनल में पहुँच इतिहास रच दी। जहां उनका मुक़ाबला दुनियाँ की नं. 1 स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मारीन से है। दोनों के बीच 3-4 का रिकॉर्ड है यानि सिंधु ने कैरोलिना को 3 बार हरा चुकी है, जबकि कैरोलिना सिंधु को 4 बार हरा चुकी है।

  • Read Also : कौन है, जिसने एक छोटे से रूम में अपने सपने को पाला, मिट्टी में बहाया पसीना और बन गया India का Best पहलवान ?

Quick Fact

Bio Data

Name – P V Sindhu

Full Name – Pusarla Venkata Sindhu

Date of Birth – 5 July 1995

Age – 21 years (2016)

Birth Place – Macherla, A.P.

Height – 5’10”

Weight – 65 KG

Caste – Jatt

Coach – Pullela Gopichand

Family

Father Name – P V Ramana

Mother Name – P Vijaya

  • Read Also : कैसे बनाया मात्र 12 हजार रुपये से 10 करोड़ की कंपनी ?

लेखक के शब्द

सिंधु आज तुझे कर दिखाना है …

यहीं है देश की माटी की मांग।

सिंधु आज तुझे जौहर दिखाना है…

यही है देश की बेटियों की मांग।

सिंधु आज तुझे लहर बरपाना है…

यही है देश के युवायों की मांग।

सिंधु आज तुझे वीरता दिखाना है…

यहीं है देश के रक्षकों की मांग।

सिंधु आज तुझे दूध का कर्ज चुकाना है…

यही है देश की मातायों की मांग।

सिंधु आज तुझे जीत हासिल करना है…

यही है देश के बच्चों की मांग।

सिंधु आज तुझे पीला तमगा लाना है…

यहीं है देश के वाशियों की मांग।

सिंधु आज तुझे राष्ट्रीय धुन बजवाना है…

यही है देश की मांग।

  • Read Also : कैसे बना टीम इंडिया का स्टार, जिसकी हैसियत नया बैट खरीदने तक नहीं थी

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(Pic-google image)

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Comments

  1. Anjali says

    at

    Please let us have about the education of the P V Sindhu.

    Reply
  2. manu rao says

    at

    Very very happy

    Reply
  3. Govind says

    at

    P V Sandhu ka naam sunte hi RIO ka semi final match yaad aa jata hai, jis tarah se Sandhu ne apne oponent ke liye point lena mushkil kar diya tha, vo match mere liye final se bhi behtar hai.

    Reply
  4. HindIndia says

    at

    बहुत ही उम्दा ……… Very nice collection in Hindi !! 🙂

    Reply
  5. Ritu Tiwari says

    at

    Ye hamesa happy rahe

    Reply

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