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कौन थे, भारत के वह प्रधानमंत्री, जो देश के लिए जेल भी गए थे

By : Ravi Kumar

देश की आजादी में अग्रणी रहे महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भीम राव अंबेडकर जैसे क्रांतिकारियों के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे Jawaharlal Nehru को ना केवल देश से ही प्यार था, बल्कि उन्हें देश के बच्चों से बेहद प्यार था। जिनके कारण बच्चे उन्हें चाचा नेहरू और उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाते है।

आज बच्चों के प्यारें Jawaharlal Nehru की प्रेरणादायी जीवनी को इस Hindi Biography द्वारा जानते है।

अनुक्रम

  • Jawaharlal Nehru Hindi Biography (Wiki)
    • Parents
    • Childhood
    • Education
    • College Education
    • वकालत की पढ़ाई और वकालत
    • विवाह
    • देश की आजादी के लिए संघर्ष
    • राजनीतिक सहयोग
    • भारत छोड़ो आंदोलन
    • प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति और सेवा
    • Personal Life
    • Quotes
    • Quick Fact

Jawaharlal Nehru Hindi Biography (Wiki)Jawaharlal Nehru

Parents

Jawaharlal Nehru का जन्म इलाहाबाद के बेहद संपन्न कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक बड़े वकील थे। उनकी माँ स्वरूपरानी एक गृहणी थी।

Childhood

16 साल तक उनका बचपन घर में ही बिता। इस दौरान घर पर ही अंग्रेजी ट्यूटर और पिता के सहयोग से उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी हुई। घर का माहौल धार्मिक कट्टरता और भेद-भाव से मुक्त था, जिसकारण उन्हें हिन्दू तीज-त्यौहारों के साथ मुस्लिम पर्व भी अच्छे लगते थे।

पढ़ाई के बाद उनका सबसे अधिक समय मुंशी मुबारक अली के पास गुजरता था। वे उन्हें रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे जैसे वीर-रणबांकुरों की कहानियाँ सुनाया करते थे। जिसने उनके अंदर देशभक्ति के बीज बोये।

इस तरह घर के धार्मिक और देशभक्ति के माहौल में उनकी शुरुआती शिक्षा पूर्ण हुई।

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Education

फिर उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया। वहाँ उनकी स्कूली शिक्षा Harrow बोर्डिंग स्कूल से होने लगी। यहाँ वे लेटिन भाषा के कारण फिसड्डी साबित हुए, क्योंकि उन्हें यह भाषा पसंद ना था।

इस भाषा के प्रति उनकी जिज्ञासा जगाने के लिए उनके पिता उन्हें तरह-तरह के लेटिन भाषा वाले किताबें पढ़ने के लिए दिया करते थे। ऐसे ही एक बार उन्होंने इटली के महान क्रांतिकारी गैरीबाल्डी के बारे में जी.एम. ट्रैविलियन द्वारा लिखित किताब दी। जिसे पढ़कर उनके बचपन की देशभक्ति की भावना को नया आयाम मिला।

College Education

इस तरह उनकी स्कूल शिक्षा पूर्ण हुई और कॉलेज की पढ़ाई के लिए Trinitiy College, Cambridge चले गए, जहां उन्होंने Natural Science में डिग्री प्राप्त किया।

यहीं उनकी मुलाक़ात भारत की आजादी के वीर सपूतों गोपाल कृष्ण गोखले, विपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय से हुई, जिससे उनके मन में जन्म रहे देशभक्ति-विचारधारा को नई शक्ति मिली।

वकालत की पढ़ाई और वकालत

बाद में पिता से प्रभावित होते हुए उन्होंने Inner Temple, London से लॉं की पढ़ाई की और 1912 में भारत लौट आए।

यहाँ वे अपने पिता के मार्गदर्शन में वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। वे जल्द ही अपने उम्दा काम से खूब प्रशंसा पाने लगे। और कुछ दिनों बाद ही एक अच्छे वकील रूप में प्रतिष्ठित हो गए।

विवाह

मार्च 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू के साथ हुआ। पूर्ण संपन्नता से भरी जिंदगी होने के बावजूद वे खुश न थे। वजह थी, उनकी देशभक्ति।

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देश की आजादी के लिए संघर्ष

जल्द सबकुछ छोड़कर 1917 में होम रूल लीग में शामिल हो गए और देश सेवा करते हुए 1919 में उनकी मुलाक़ात महात्मा गांधी से हुई।

इस मुलाक़ात से ना केवल जवाहर लाल नेहरू प्रभावित हुये बल्कि पश्चिमी संस्कृति के शौकीन मोतीलाल नेहरू पर भी देशभक्ति का रंग चढ़ गया।

दोनों ने पश्चिमी चीजों, कपड़ों और सम्पत्तियों को त्याग कर समर्पण भाव से आजादी के आंदोलन में कूद पड़े।

उन्होंने 1920 से 1922 तक चले असहयोग आंदोलन में गांधीजी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसके कारण उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर लिए गया। और कुछ महीनों के बाद उनकी रिहाई हुई।

1924 में उन्हें इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष पद के रूप में चुन लिया गया। उन्होंने दो साल तक इस पद को संभाला और अंग्रेजों के असहयोग रवैये के कारण इस पद को त्याग दिया। और एक बार फिर देश की आजादी-क्रांति में कूद पड़े।

राजनीतिक सहयोग

इस बार वे एक राजनीतिक के तौर पर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। उन्होंने 1926 से 1928 तक अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के पद पर सेवा की।

1928 के कांग्रेस के वार्षिक सत्र में उन्होंने और सुभाषचन्द्र बोस ने देश की पूर्ण आजादी की मांग रखी। जिसपर अंग्रेजों ने कोई सुध नहीं ली। जिसके कारण क्रांतिकारियों ने अपनी कार्यवाही तेज कर दी।

1929 में लाहौर में हुए कॉंग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू को कॉंग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। इस सत्र में पूर्ण स्वराज्य की प्रस्ताव को पारित किया गया और 26 जनवरी 1930 को लाहौर में उन्होंने पहली बार स्वतंत्र भारत का झण्डा फहराकर देश की आजादी के लिए लड़ी जाने वाले अंतिम लड़ाई का आह्वान किया।

फिर गांधीजी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। जिसमें सभी क्रांतिकारियों ने ज़ोर-शोर से भाग लिया। आंदोलन सफल रहा।

बेहतरीन काम-काज और कुशल नेतृत्व के कारण वे 1936 और 1937 में भी कॉंग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए।

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भारत छोड़ो आंदोलन

उन्हीं दिनों Second World War छिड़ चुका था। इस युद्ध में अंग्रेज भारतीय को अपना ढाल बनाने लगा। इस युद्ध में अंग्रेजों की हार और जापानियों की जीत हुई। जिससे भारत पर जापानियों के आक्रमण का खतरा मंडराने लगा।

तब गांधीजी ने सोचा,

भारत की रक्षा तभी हो सकती है, जब अंग्रेजों को भारत से पूर्णत: खदेड़ दिया जाए।

इसलिए गांधीजी ने आजादी के अंतिम लड़ाई के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया और साथ ही करो या मरो नारा दिया। जिसने देश-वासियों के लिए गज़ब का टॉनिक का काम किया।

सभी देश-वाशियों सहित Jawaharlal Nehru भी इस लड़ाई में कुद पड़े। जिससे उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आजादी के इस अंतिम संघर्ष ने अंगेजों-हुकूमत को पूरी तरह से उखाड़ फेंका और 1947 में देश को आजादी मिली।

प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति और सेवा

आजादी के बाद गांधीजी के समर्थन में उन्हें देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया। उस वक्त आजाद भारत 500 अलग-अलग देशी रियासतों में बंटी हुई थी। जिसे जवाहर लाल नेहरू ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ मिलकर एक कर आधुनिक भारत का निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।

उन्होंने देश की सतत रूप से विकास करने के लिए पंच वर्षीय योजना की शुरुआत की। साथ ही गुट निरपेक्ष नीति बनाकर देश को अनचाहे युद्ध से बचा लिया।

इन्हीं सब महत्वपूर्ण कामों के लिए 1955 में उन्हें भारत रत्न अवार्ड से नवाजा गया।

इतनी सफल कार्यों के बावजूद वे कभी भी पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते सुधारने में सफल न रहे।

1960 की दशक में चीन के साथ रिश्ता सुधारते हुए “हिन्दी-चीनी भाई-भाई” का नारा दिया। लेकिन चीन ने एक धोखेवाज मित्र की तरह आक्रमण कर भारत के हृदय को छलनी कर दिया।

इससे Jawaharlal Nehru को बड़ा आघात लगा और कभी वे इस दर्द से ना उबर सके। और 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने के साथ उनकी मृत्यु हो गई।

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Personal Life

देश के लिए मर मिटने वाले Jawaharlal Nehru सरल और संयम स्वभाव के थे। 1916 में उनका विवाह कमाल नेहरू से हुआ। जिससे वे इन्दिरा गांधी के पिता बने, जो बाद में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी।

Quotes

  • अज्ञानता बदलाव से हमेशा डरती है।
  • जो व्यक्ति अक्सर अपने ही गुणों का बखान करता रहता है, वो अक्सर सबसे कम गुणी होता है।
  • लोकतन्त्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन मात्र है। स्वयं में कोई लक्ष्य नहीं है।
  • नागरिकता देश की सेवा में निहित है।
  • जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है। आपके हाथ में जो है, वह नियति है। जिस तरह से आप खेलते हैं, वह स्वतंत्र इच्छा है।
  • असफलता तभी आती है, जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते है।
  • सही काम मुझे संतुष्टि देता है।
  • संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।
  • हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम।
  • महान कार्य और छोटे लोग साथ नहीं चल सकते।
  • समय सालों के बितने से नहीं मापा जाता, बल्कि किसी ने क्या किया, क्या महसूस किया और क्या हासिल किया। इससे मापा जाता है।
  • संकट और गतिरोध होने का कम से कम एक फायदा है कि वे हमें सोचने पर मजबूर करते है।
  • संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
  • लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।
  • जो व्यक्ति भाग जाता है, वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है।

Quick Fact

Name – Jawaharlal Nehru
Date of birth – 14 November, 1889
Place of birth – Allahabad
Date of death – 27 May 1967
Father – Motilal Nehru
Mother – Swaruprani Thussu
Wife – Kamala Nehru
Daughter – Indira Gandhi

  • Read Also :कौन थी वो जिसके बिना गांधीजी स्कूल के दिनों में भी नहीं रह पाते थे ?

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Filed Under: Historical Persons, Leader

Comments

  1. Abhishek says

    at

    जवाहरलाल नेहरू जी के बारे में आपने बहुत बढ़िया जानकारी दी है।

    Reply

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