What is Chhath: शायद छठ पुजा भारत का एकमात्र ऐसा देसी त्यौहार है, जिसे इस देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। इसके पीछे का एकमात्र वजह है बिहार और उत्तर प्रदेश वासियों का रोटी-रोजगार के तलाश में दूसरे state में चले जाना और सबकुछ व्यवस्थित होने के बाद वही स्थायी रूप से बस जाना।
खैर जमीन- जायदात और धन कमाने के बाद छठ पर्व मनाना नहीं भूलते, क्योंकि दुनिया की एकमात्र उगते सूर्य की पुजा करने वाला यह फेस्टिवल केवल आस्था के लिए लोगो के दिलों में जगह नहीं बनाई है। बल्कि इस भागदौड़ के युग में परिवार को एक जगह इकट्ठा कर आनंदयी अनुभूति करवाना, किसी परम सुख से कम नहीं है।
बिलकुल यदि आप के मॉडर्न जमाने के व्यक्ति है तो इस फेस्टिवल को मनाते हुए आपको पहली बार बता चलेगा कि आपकी कितनी बड़ी family है और संयुक परिवार का क्या आनंद है। सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो यह फेस्टिवल फॅमिली के सदस्यों के बीच परस्पर प्रेम और विश्वास लाती है, जो एकता का रूप लेती है।
खैर हम ये पोस्ट आपको ये बताने के लिए लिख रहे है कि आखिर क्यों छठ मनाया जाता है। इसकी एक लंबी इतिहास है, जिसमें एक रोचक कहानी से इस महान पर्व की शुरुआत हुई थी। जिसे आइये जानते है-
अनुक्रम
Why Chhath Is Celebrated In India in Hindi
हर इंसान के जीवन में उगते सूरज का मतलब होता है, एक नई शुरुआत, जिससे वह निराशा से आशा में, दुख से सुख में, असफलता से सफलता में, अकेले से दुकेले में , साधारण से विशेष स्थिति में आता है।
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यह फेस्टिवल भी हर इंसान के लिए नई उल्लास, नई शुरुआत, नई प्रेम और नए सपनों का सूचक है, जो साल में कार्तिक मास आता है और पूरे सालभर के लिए फॅमिली को एक मजबूत ढ़ोर में बांधकर चला जाता है। यहीं आज भी गाँव में लोग के एक साथ नदी के किनारे एकत्रित होकर इस पर्व को मनाते है, ऐसा किसी और पर्व में विरले ही नजर आता है।
आप जानते ही होंगे कि यह चार दिनों का लंबा त्यौहार है, पर अंतिम दो दिन सबसे महत्वपूर्ण होते है, जब डूबते और उगते सूर्य को अर्ग (पूजा करना) दिया जाता है। इन दो दिनों में नदी, तालाब व पोखर के किनारे हर गाँव या मोहल्लेवासी को college की 75% attendance की तरह अपनी हाजिरी लगानी ही पड़ती है।
लेकिन उसके बाद जो घाट पर सीन बनता है, बेहद मनोरम होता है। दुनिया से दूर….. तनाव से दूर सबके हँसते – खिलते चेहरे दिखते है, जिसे प्रसाद समझकर चार दिन से भूखी पुजारिन भी प्रसन्न हो जाती है।
दोस्तों, अबतक मैंने जो इस त्यौहार का शृंगार किया है, इसकी शुरुआत होने की कहानी भी इसी concept से related करती है, जो है-
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा हुआ करते थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। पर दोनों ही निसंतान थे, जिसके कारण बहुत दुःखी रहते थे।
उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के प्रभाव से रानी गर्भवती तो हो गई। लेकिन नौ महीने बाद संतान सुख को प्राप्ति का समय आया तो रानी की कोख से मरे हुए पुत्र ने जन्म लिया।
इससे राजा को बहुत दुःख हुआ और संतान शोक में वह आत्महत्या करने हेतु तत्पर हुए। परंतु जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं।
देवी ने राजा को कहा कि “मैं षष्टी देवी हूं”। मैं लोगों को पुत्र-सौभाग्य का वरदान प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा-अर्चना करता है, तो मैं उसके सभी प्रकार के मनोकामना को पूरा कर देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी।” देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।
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राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा की। इस पूजा के कारण उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ के पावन पर्व को मनाया जाने लगा।
इसके अलावा भी छठ के मनाया जाने को लेकर कई कथाए प्रचलित है-
पौराणिक ग्रंथों में इस रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या आने के पश्चात माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करने से भी जोड़ा जाता है, महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पूर्व सूर्योपासना से पुत्र की प्राप्ति से भी इसे जोड़ा जाता है।
सूर्यदेव के अनुष्ठान से उत्पन्न कर्ण जिन्हें अविवाहित कुंती ने जन्म देने के बाद नदी में प्रवाहित कर दिया था वह भी सूर्यदेव के उपासक थे। वे घंटों जल में रहकर सूर्य की पूजा करते। मान्यता है कि कर्ण पर सूर्य की असीम कृपा हमेशा बनी रही। इसी कारण लोग सूर्यदेव की कृपा पाने के लिये भी कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करते हैं।
छठ कब मनाया जाता है ?
भगवान सूर्य और उनकी बहन षष्टि की आराधना वाले इस festival को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है जिसे विशेषतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में पूरे ज़ोर-शोर से मनाया जाता है। इस साल सूर्य की देवता की पुजा 2 नवंबर और 3 नवंबर को की जाएगी।
Chhath Puja Date 2022
पहला अर्घ्य | 9 Nov | 17:55 PM |
दूसरा अर्घ्य | 10 Nov | 6:33 AM |
छठ पुजा कैसे मनाया जाता है?
4 दिनों वाले इस त्यौहार को लोग बड़े सादगी और स्वच्छता से मनाते है। इसलिए आपको इन दिनों पूरा गाँव या मोहल्ला सबसे clean मिलेगा। लोग सामूहिक सफाई में खुशी-खुशी भाग लेते है, बिलकुल स्वच्छ भारत अभियान से भी ज्यादा।
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खैर इसके बाद छठ पुजा करने वाली महिला या पुरुष की ज़िम्मेदारी होती है, कि वे पूरे नियमों के साथ इस पर्व को सम्पन्न करे-
नहाय खाय – शब्दों के अनुसार पहले दिन व्रती गंगा स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण करती है।
लोहंडा और खरना – दूसरे दिन व्रती स्नान करके संध्या में खीर, फल, रोटी और गुड से छठी माँ को भोग लगाकर पुजा करती है। वही इसके बाद फॅमिली के सभी सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करते है।
शाम का अर्घ्य – तीसरा दिन, जिसका इंतजार बड़ों से ज्यादा बच्चो को होती है। इस दिन पूरी फैमिली शाम में नदी या घाट पर जाती है और डूबते सूरज की पुजा करते है। साथ में वे एक बांस के टोकरी में फल, मीठी पूरी, ठेकुया, गन्ना और पुजा सामग्री को सजाकर रखा जाता है।
फिर धोती या सफ़ेद कपड़ा से बंधा दिया जाता है। जिसे डाला छठ कहते है। फिर घर का कोई युवा सदस्य अपने माथे पर घाट पर ले जाते है। जहां पर घाटों पर दीप-धूप को जलाया जाता है।
सुबह का अर्घ्य – चौथा दिन, इस दिन पूरा परिवार तरके सुबह उठते है और डाला छठ के साथ पहुँच जाते है। जहां पर पहली किरण के साथ सूरज देवता की पुजा की जाती है। तब घर लौटकर पूरा फॅमिली प्रसाद को ग्रहण करते है। इस तरह चार दिनों का त्यौहार सम्पन्न हो जाता है।
छठ पुजा के नियम
यह वह नियम है, जिसे हर व्रती कड़ाई से फॉलो करते है-
-कार्तिक मास के शुरू होने के साथ पूरे परिवार में प्याज, लहसुन और मांस का सेवन निषेध हो जाता है।
-इन चार दिनों में व्रती को अपनी आरामदेह बेड को छोड़कर धरती पर सोना पड़ता है। वे चटाई और कंबल use करती है।
-व्रती पुजा के समय बिना सिलाई के कपड़े धारण करती है। महिलाए साड़ी और पुरुष धोती पहनते है।
अंत में
चार दिनों का यह त्यौहार केवल सूर्य उपासना की पुजा नहीं है, बल्कि पारिवारिक कलह मिटाने का और नए प्रेम के धागे में पिरोने का भी पर्व है। इसलिए सभी को इस पवन पर्व में खुशी के साथ भाग लेना चाहिए।
हमारी तरफ से आपको और आपको फॅमिली को छठ पूजा की ढेरो बधाइयाँ और आप मुझे बधाइयाँ देने के लिए simply इस post को अपने दोस्तो के share कर दें।
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