आज मैं बात करने जा रहा हूँ, एक ऐसे शख्स की, जिसे मंदिरों में प्रवेश और कुओं से पानी पीने की मनाही थी। पर उसने इस भीषण संघर्ष का साहसिक पूर्ण सामना करते हुए वह सबकुछ पाया, जो उसे इस देश का निर्माता बना दिया। वह है Dr. Bhimrao Ambedkar. Friend, अब आप इस Hindi Biography द्वारा B R Ambedkar की काँटों से भरे History को जानेंगे।
अनुक्रम
B R Ambedkar Hindi Biography (Wiki & History)
Childhood & Family
भीमराव का जन्म (Birth Place) मध्यप्रदेश के बेहद छोटे से गाँव में हुआ था। वे एक महार जाति (Mahar Caste)के मराठी परिवार से थे। जिसे लोग अछूत की दृष्टि से सबसे निचला मानते थे। वे अपने माता-पिता के 14 वें संतान थे।
उनके पूर्वज British East India Company के लिए बहुत लंबे से कार्य कर चुके थे। इसी क्रम में उनके पिता, रामजी मालोजी सकपाल, ब्रिटिश भारतीय सेना में सूबेदार पर कार्यरत थे। उनकी माँ भीमाबाई मुर्बडकर सकपाल थी।
Educational Life
निचली जाति का होने के कारण उन्हें जन्म से ही हर चीज को पाने में संघर्ष करना पड़ा। उनकी प्रारभिक शिक्षा पास के स्कूल में प्रारंभ हुआ।
उन्हें क्लास के बाहर बैठ कर पढ़ना पड़ता था, जहां टीचर का ध्यान कम ही जाता था। प्यास लगने पर, उनका कुए पर जाना माना था।
इसलिए उन्हें Peon से पानी मांगकर पीना पड़ता था। लेकिन जिस दिन प्यून नहीं आता था, उन्हें प्यासे ही पढ़ाई करना पड़ता था। वे अपनी लेखों में इस बात का जिक्र इस तरह करते थे,
No Peon No Water
1897 में उनका परिवार मुंबई में शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने हाइ स्कूल की शिक्षा के लिए एलफिनस्टोन हाइ स्कूल में दाखिला ले लिया। जो उस स्कूल में एक मात्र दलित छात्र थे।
जब वे 15 साल के हुए तो उनका विवाह 9 साल की रमाबाई से हो गया।
1907 में 17 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिए एलफिनस्टोन कॉलेज चले गए, जो Bombay University से एफीलीएट था।
यहाँ भी वे एकमात्र दलित छात्र थे। उनके कॉलेज में दाखिला को लेकर दलितों में खुशियाँ मनाई गई।
1912 में उन्होंने Economics और Political Science से बैचलर डिग्री पूरी की और बङौदा स्टेट गवर्नमेंट में नौकरी की तैयारी करने लगे। पर आधुनिक विचारों वाले बङौदा के महाराज सयाजी गायकवाड ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया और तीन साल तक छात्रवृत्ती प्रदान करने का वचन दिया।
पर राजा ने उनके सामने एक शर्त रखी कि अमेरिका से वापस आने पर दस वर्ष तक बङौदा राज्य की सेवा करनी होगी। भीमराव ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से एम. ए. तथा पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की ।
Career
पढ़ाई पूरा होने के बाद भारत आ गए और शर्त के अनुसार बङौदा राज्य में उच्च पद पर कार्य करने लगे। पर जल्द ही उन्हें सामाजिक बीमारी-छुआछूत के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी। फिर वे एक Financial Advisor के रूप में काम करने लगे। पर यह काम भी बंद करना पड़ा। क्योंकि लोग जान चुके थे कि वे दलित है।
1918 में भीमराव मुंबई आ गए और Sydenham College of Commerce And Economics में पॉलिटिकल इकोनोमी के प्रोफेसर के रूप में काम करने लगे। यहाँ सबकुछ ठीक चल रहा था।
पर वे जल्द ही लंदन चले गए और एम.एस.सी., डी.एस.सी. तथा बैरिस्ट्री की डिग्री प्राप्त कर भारत लौटे।
छुआछूत से संघर्ष
वे बॉम्बे हाई कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस करने लगे। इस दौरान वे दलित लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे।
अपनी प्रयासों में पैनापन लाने के लिए वे मूक नायक, बहिष्कृत भारत, Equality Janta, Speech जैसे कई पत्रिकाएँ निकाली। पर बहिष्कृत हितकारिणी सभा उनका पहला प्रयास था।
1927 में उन्होंने निश्चय किया कि छुआछूत के खिलाफ आंदोलन करेंगे। इसी छुआछूत उन्मूलन आंदोलन से हिन्दू मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार और शहर के मैन टैंक से पानी लेने का अधिकार लेने की कोशिश की।
और तो और वे लोगों को जाति में बांटने वाले मनुस्मृति की भी निंदा की और 25 दिसंबर 1927 को अपने साथियों के साथ मनुस्मृति की कई प्रतियों को आग के हवाले कर दिये। जिसे मनुस्मृति दहन दिन के नाम से भी जाना है और इसे हर साल 25 दिसंबर को सेलिब्रेट किया जाता है।
लगातार आंदोलन से उन्होंने उच्च जातियों के प्रमुखों की नींद को हराम कर दिया और 25 सितंबर 1932 को उनके और मदन मोहन मालवीय के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसे Poona Pact के नाम से जाना जाता है। इस समझौता के अनुसार दलितों को प्रांतीय विधायिकाओं में रिजवर्ड सीट दी गई।
1935 में उन्होंने Independent Labour Party के नाम से एक पॉलिटिकल पार्टी का गठन किया। पर उन्हें राजनीतिक में कोई खास सफलता नहीं मिला।
B R Ambedkar द्वारा Indian Constitution का निर्माण
29 अगस्त 1947 में कॉंग्रेस द्वारा उन्हें भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इसके अलावा उन्हें संविधान निर्माता समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने अथक मेहनत से 2 साल 11 महीने और 18 दिन में दुनियाँ के सबसे बड़े संविधान को बनाकर एक नया History रच डाला। जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
पर वे आर्टिक्ल 370 से नाख़ुश थे, जो जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है। इस आर्टिकल के अनुसार केंद्र सरकार सीमित अधिकारों के साथ जम्मू कश्मीर की बोर्डर की सुरक्षा करेगी और भारतीय लोगों का जम्मू कश्मीर में कोई अधिकार नहीं होगा।
Second Wife
1940 में भीमराव अनिद्रा और पाँव के दर्द से पीड़ित हो गए और इसके इलाज के लिए बॉम्बे चले गए। जहां वे डॉ. शारदा कबीर से मिले, जो एक ब्राहमिन थी। जिनसे उन्होंने 15 अप्रैल 1948 में शादी कर ली। जबकि उनकी पहली पत्नी की लंबी बीमारी के कारण 1935 में ही स्वर्ग सिधार चुकी थी।
Death
1948 में भीमराव डायबीटीज़ से ग्रसित हो गए। जिससे वे उबर न सके और सदा के लिए 6 दिसंबर 1956 (Death Date) को दुनियाँ को अलविदा कह गए।
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Quick Fact
Name – B R Ambedkar
Full Name -Bhimrao Ramji Ambedkar
Date of Birth – 14 April 1930
Place of Birth – Mhow, MP
Age till Death – 65 Years
Date of Death – 6 December 1965
Family
Father – Ramji Maloji Sakpal
Mother – Bhimabai Murbadkar Sakpal
Wife – Ramabai (1906-1935), Savita Ambedkar (1948–1965)
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Ravi Kumar says
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sanjay kumar jatav says
bahut hi umda tarike se aapne ise taiyar kiya.
achcha lagaa padkar. thanks
Avinash salve says
Pune act drAmbedkar aur mahatma gandhi me hua tha .
SHASHI says
sach mei B R AMBEDKAR KE BAARE MEI BAHUT ACHA LIKHA H..AAPKA YE PURA BLOG HI BAHUT HELPUL H MENE AAPKI STORY BHI PADHI JISE PADHKR ACHA LGAA…YAHA SARI WRITINGS PRERNA DENE WALI HAI BAHUT KUCH SIKHNE KO MILTA HAI…..THANK U MR. RAVI KUMAR JI..MERE BHAI KA NAM BHI RAVI KUMAR HAI..SAYONG SE..
Ravi Kumar says
Thanks Shashi Ji…
MYC says
Bahut hi acha likha hai Apne. Bhimrao Ji ke bare me Bahut kuch Naya jaane ko mila. Aap bahut acha likhte ho.